पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण में पख्तूनों को ‘तालिबान का हमदर्द’ बताया था। इसके लिए विपक्ष ने उनकी आलोचना की है। डान की रिपोर्ट के मुताबिक अवामी नेशनल पार्टी के केंद्रीय महासचिव मियां इफ्तिखार हुसैन ने उनकी आलोचना की है। हुसैन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने यह कहकर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया कि पख्तून तालिबान से हमदर्दी रखते हैं।’
डान की रिपोर्ट के मुताबिक खुद को पख्तून कहने वाले हुसैन ने यह भी बताया कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में करीब 80 हजार लोगों की जान चली गई और उनमें से ज्यादातर पख्तून थे, जिनमें आर्मी पब्लिक स्कूल पेशावर के 144 छात्र शामिल थे। इमरान खान ने 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा था, ‘अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा के साथ अर्ध-स्वायत्त कबायली क्षेत्र में रहने वाले पख्तूनों में तालिबान के प्रति हमेशा आत्मीयता और सहानुभूति थी। उनके इस बयान से अवामी नेशनल दल भड़क उठा।
यूएनजीए में अपने भाषण के दौरान इमरान खान ने कहा था कि अस्थिर और अराजक अफगानिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में उभरेगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को युद्धग्रस्त देश में वर्तमान सरकार को मजबूत और स्थिर करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए, इमरान खान ने देश के लिए मानवीय सहायता का आग्रह करते हुए कहा, ‘अगर हम अभी भी अफगानिस्तान की उपेक्षा करते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अफगानिस्तान के आधे लोग पहले से ही कमजोर हैं और अगले साल तक लगभग 90 प्रतिशत अफगानिस्तान के लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे।’
इमरान खान ने इस दौरान कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की व्यापक आलोचना का जिक्र करते हुए कहा, ‘ अमेरिका और यूरोप में कुछ राजनेताओं द्वारा अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के लिए पाकिस्तान को लिए दोषी ठहराया जा रहा है। इस मंच से मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के अलावा जिस देश को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है वह पाकिस्तान है। हम 9/11 के बाद आतंक के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में शामिल हुए थे।’