चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ऊंचाई वाले कई अग्रिम क्षेत्रों में अपने जवानों के लिए नए माड्यूलर कंटेनर आधारित आवास (अस्थायी टेंट) स्थापित किए हैं। क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती के जवाब में उसने यह कदम उठाया है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने सोमवार को बताया कि ये टेंट अन्य स्थानों के अलावा ताशीगोंग, मांजा, हाट स्प्रिंग्स और चुरुप के पास लगाए गए हैं, जो क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच तनाव को दर्शाता है।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पिछले साल इस क्षेत्र में अपने दुस्साहस पर भारतीय प्रतिक्रिया के असर को महसूस कर रही है। चीनी सेना को इस क्षेत्र में सैनिकों की लंबी तैनाती तथा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सूत्रों ने बताया कि पिछले साल चीनी कार्रवाई के बाद भारतीय प्रतिक्रिया ने पड़ोसी देश को हैरान कर दिया। खासकर गलवन घाटी के संघर्ष के बाद उसने उन क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात किया जहां पहले कभी तैनाती नहीं होती थी।
सूत्रों ने बताया कि हमारी रणनीति उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। वे हमारे जवाब पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हमने पीएलए को अग्रिम तैनाती तथा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। नई तैनाती चीनी सैनिकों के मनोबल को प्रभावित करती दिख रही है क्योंकि उन्हें ऐसे दुर्गम क्षेत्र में काम करने की आदत नहीं थी। ये नए टेंट पिछले साल दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ने के बाद चीनी सेना द्वारा बनाए गए सैन्य शिविरों के अलावा बनाए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि भारत पूर्वी लद्दाख और करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी से लगे अन्य क्षेत्रों में तेजी से बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कर रहा हैं। इन इलाकों में सुरंगों, पुलों की सड़कों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों का तेजी से विकास हो रहा है। सूत्रों ने यह भी बताया कि चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपनी तरफ वायु सेना ठिकानों के साथ साथ वायु रक्षा इकाइयों में भी तेजी से बढ़ोतरी कर रहा है।
मौजूदा वक्त में भी दोनों देशों की ओर से LAC के साथ लगे संवेदनशील क्षेत्रों में लगभग 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं। बता दें कि पिछले साल पैंगोंग झील क्षेत्र में पांच मई को हिंसक टकराव के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर गतिरोध बढ़ गया था। इसके बाद पिछले साल 15 जून को गलवन घाटी में भी हिंसक झड़प हुई थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और बढ़ गया था। नतीजतन दोनों देशों ने सीमा पर भारी हथियारों के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी थी।