चांद के दक्षिणी ध्रुव पर हिंदुस्तान ने कामयाबी के साथ कदम रख दिया है। हिंदुस्तान की इस उपलब्धता पर पूरे विश्व के कई लोगों के द्वारा शुभकामना संदेश भेजे जा रहे है। इसरो और हिंदुस्तान को बीते बुधवार शाम से ही बधाइयों का ढेर मिलना प्रारम्भ हो गया है। ऐसे में ‘चंद्रयान-3’ की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ को प्रमुख विदेशी मीडिया प्रतिष्ठानों ने एक अद्भुत उपलब्धि और भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक बड़ा क्षण कहा है।
ऐतिहासिक घटना ने पूरे विश्व में सुर्खियां बटोरीं
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ से लेकर ‘बीबीसी’ और ‘द गार्डियन‘ से लेकर ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ तक, बुधवार को हिंदुस्तान के अंतरिक्ष कार्यक्रम की ऐतिहासिक घटना ने पूरे विश्व में सुर्खियां बटोरीं। मुख्यधारा के अमेरिकी समाचारपत्रों ने महान भारतीय उपलब्धि का उल्लेख किया। पूर्व में इन अखबारों में से कई ने हिंदुस्तान के अंतरिक्ष मिशन पर शक जताया था और कभी-कभी कार्टून के माध्यम से इसका मज़ाक भी उड़ाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बोला गया है, “चंद्रयान-3 मिशन ने हिंदुस्तान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बना दिया है और इसने राष्ट्र के घरेलू अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों में बढ़ोत्तरी किया है।”
‘राजनीतिक क्षेत्र में एक जरूरी क्षण का प्रतीक’
वाशिंगटन पोस्ट ने इस ऐतिहासिक अवसर का उत्सव मनाने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों को शामिल करते हुए कुछ कहानियां और एक राय लिखी। अखबार के डिप्टी ओपिनियन एडिटर डेविड वॉन ड्रेहले ने लिखा, ‘‘यह हिंदुस्तान के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बहुत बढ़िया उपलब्धि-और भू-राजनीतिक क्षेत्र में एक जरूरी क्षण का प्रतीक है। यह सफल लैंडिंग उसी क्षेत्र में रूस का एक यान चांद की सतह से टकराकर हादसा का शिकार होने के कुछ दिन बाद हुई है।’’
‘अंतरिक्ष महाशक्ति की सूची में ऊपर उठता भारत’
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा, ‘भारत चंद्रमा पर ‘ : चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा।” बीबीसी ने अपने लेख का शीर्षक दिया, ‘‘चंद्रयान-3: हिंदुस्तान ने की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ऐतिहासिक लैंडिंग’’ | बीबीसी की विज्ञान संपादक रेबेका मोरेल ने लिखा, ‘‘यह हिंदुस्तान के लिए एक बड़ा क्षण है – और यह उसे अंतरिक्ष महाशक्ति की सूची में ऊपर उठाता है।’’ उन्होंने कहा, “चंद्रमा पर उतरना बहुत सरल नहीं है – जैसा कि इस हफ्ते रूस के कोशिश से भी पता चला- और कई मिशन विफल हो चुके हैं, जिनमें हिंदुस्तान का पहला कोशिश भी शामिल है।”
‘वैश्विक महाशक्ति के रूप में हिंदुस्तान की स्थिति मजबूत’
सीएनएन ने अपने लेख ‘चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिग’ में हिंदुस्तान दुनिया का चौथा राष्ट्र बना’ में कहा, ‘‘यह मिशन अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति के रूप में हिंदुस्तान की स्थिति को मजबूत कर सकता है। इससे पहले, सिर्फ़ अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ही चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं।’’इसने बोला कि चंद्रयान-3 का लैंडिंग स्थल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब है जहां कोई अन्य अंतरिक्ष यान नहीं पहुंचा है। लेख में बोला गया कि दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राष्ट्रों के लिए वैज्ञानिक और रणनीतिक रुचि का प्रमुख क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी का भंडार है।
”भारत उभरती हुई अंतरिक्ष शक्तियों की दूसरी लहर का हिस्सा”
सीएनएन ने कहा, ‘‘अमेरिका और फ्रांस जैसे सहयोगियों के साथ काम करते हुए, हिंदुस्तान उभरती हुई अंतरिक्ष शक्तियों की दूसरी लहर का हिस्सा है। राष्ट्र का अंतरिक्ष कार्यक्रम खोजपूर्ण अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में दुनिया के सबसे व्यस्त कार्यक्रमों में से एक बन गया है।’’ इसने बोला कि रूस के ‘लूना 25’ के विफल होने के बाद से हिंदुस्तान का मिशन और भी अधिक जरूरी हो गया है। लेख में बोला गया कि चंद्रयान-3 की कामयाबी के साथ, हिंदुस्तान 21वीं सदी में चीन के बाद चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला दूसरा राष्ट्र बन गया है।
”वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ के लिए बड़ा व्यवसाय”
द गार्डियन अखबार के विज्ञान संपादक इयान सैंपल ने ‘भारत का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष दौड़ के लिए बड़ा व्यवसाय है’ शीर्षक से लेख लिखा है।लेख में बोला गया कि अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद हिंदुस्तान सतह पर नियंत्रित लैंडिंग कराने वाला चौथा राष्ट्र है। इसमें बोला गया कि हिंदुस्तान ने चंद्रमा के ध्रुवों में से एक को अपने गंतव्य के रूप में चुना – जहां भूमध्य रेखा के पास उतरने की तुलना में आसार मुश्किल होती है- तथा इससे हिंदुस्तान की कामयाबी और अधिक बहुत बढ़िया बन गई है।
सैंपल ने कहा, “ध्रुवों पर उतरना भूमध्य रेखा पर उतरने से कहीं अधिक मुश्किल है। लैंडर को छोड़ने के लिए आपको ध्रुवीय कक्षा में जाना होगा, और पहले किसी ने ऐसा नहीं किया है। अमेरिका ने चंद्रमा के ध्रुवों पर कुछ भी नहीं उतारा है।” लेख के अनुसार, उपलब्धि में प्रौद्योगिकी उपलब्धि के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ है। रूसी यान के नियंत्रण से बाहर हो जाने और चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त होने के एक हफ्ते से भी कम समय में लैंडिंग ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की प्रतिष्ठा को बढ़ा दिया है।
अखबार ने बोला कि यह लैंडिंग एक जरूरी समय में अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देश के रूप में हिंदुस्तान की छवि को ऊपर उठाती है। इसके अनुसार, अन्य राष्ट्रों की तरह हिंदुस्तान ने भी अपने रॉकेट प्रक्षेपण का निजीकरण कर दिया है। विदेशी निवेश के माध्यम से, हिंदुस्तान अगले दशक में अंतरराष्ट्रीय प्रक्षेपण बाजार में अपनी हिस्सेदारी पांच गुना बढ़ाने की योजना बना रहा है। लेख में बोला गया कि हिंदुस्तान को अंतरिक्ष प्रक्षेपण सेवाओं के कम लागत वाले प्रदाता के रूप में देखे जाने से इस महत्वाकांक्षा को सहायता मिलेगी। यूसीएल मुलार्ड अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगशाला में प्रोफेसर एंड्रयू कोट्स ने कहा, “यह भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक रोमांचक क्षण है।”
उन्होंने कहा, “चंद्रमा और मंगल ग्रह पर उनके (भारत) पिछले सफल ऑर्बिटर के बाद, यह प्रमुख अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राष्ट्रों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करता है तथा यह एक प्रभावशाली वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उपलब्धि है।” द टेलीग्राफ की विज्ञान संपादक सारा नैप्टन ने लिखा कि हिंदुस्तान ने चंद्रमा पर संसाधनों की दौड़ में शुरुआती बंदूक चला दी है। नासा ने 2025 में आर्टेमिस-3 मिशन के अनुसार अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने से पहले पानी की मात्रा मापने के लिए अमेरिका स्थित कंपनी एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी के साथ अगले वर्ष चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर भेजने की योजना बनाई है।
चीन ने भी दशक के अंत तक वहां अंतरिक्ष यात्री भेजने की प्रतिबद्धता जताई है, जबकि रूस ने पिछले हफ्ते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का कोशिश किया था, जो विफल रहा। नैप्टन ने लिखा कि इसलिए, यह कुछ हद तक आश्चर्यजनक है कि अपेक्षाकृत नवागंतुक हिंदुस्तान ही सबसे पहले वहां पहुंचा, जिससे राष्ट्र को पानी और अन्य संसाधनों की खोज में अप्रत्याशित बढ़त मिली। स्काई न्यूज के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संपादक टॉम क्लार्क ने इसे भारतीय वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों के लिए एक बड़ी जीत बताते हुए लिखा कि चंद्रयान-3 अब तक का सबसे परिष्कृत अंतरिक्ष यान नहीं है, लेकिन उन्होंने कम लागत वाले डिजाइन के साथ वह हासिल किया है, जो अन्य राष्ट्र (हाल ही में रूस) नहीं कर पाए हैं।
स्काई न्यूज ने ‘भारत चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद नवोन्वेषी, कम लागत वाले अंतरिक्ष यान के साथ विशेष क्लब में शामिल हुआ’ शीर्षक से लेख लिखा। द इंडिपेंडेंट अखबार ने लिखा है कि हिंदुस्तान चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बन गया है, जिसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने एक नई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष दौड़ में कामयाबी का दावा किया। जर्मनी की सरकारी मीडिया डॉयचे वेले ने ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी लीग का हिस्सा बनने में सक्षम’ होने के लिए हिंदुस्तान की सराहना की। जापानी दैनिक निकेई ने इसे ‘ऐतिहासिक छलांग’ बताकर मिशन की सराहना की।