श्रीलंका ( Sri Lanka ) में चाइना के विरूद्ध भारी विरोध प्रारम्भ हो गया है. श्रीलंका की सरकार बेपरवाह होकर पिछली गलतियों से सबक नहीं लेते हुए चाइना ( China ) के साथ करार कर रही है, लेकिन श्रीलंका की जनता और सिविल सोसाइटी की ओर से श्रीलंका में चाइना के विरूद्ध भारी विरोध प्रारम्भ हो चुका है.
श्रीलंका में सिविल सोसाइटी, विपक्ष, लेबर यूनियन और आम जनता की तरफ से श्रीलंकन उच्चतम न्यायालय में दर्जनों याचिकाएं डाली गई हैं, जिसमें श्रीलंका के कोलंबो ( Colombo ) में बनने वाले चीनी पोर्ट सिटी ( Port City ) का विरोध किया जा रहा है. इस बीच मंत्री सब्री ने मुद्दे में सरकार की ओस से सफाई दी है.
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में चाइना सिटी पोर्ट बनाने वाला है, जिसका श्रीलंका में भारी विरोध किया जा रहा है. श्रीलंका के लोगों का बोलना है कि सरकार ने देश की संप्रभुता को ताक पर रखकर चाइना के साथ समझौता किया है. श्रीलंकन उच्चतम न्यायालय में अब सोमवार को तमाम याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी.
इस बीच सरकार के मंत्री सब्री ने बोला है कि, निवेश क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 269 हेक्टेयर और सार्वजनिक सुविधाओं के लिए 91 हेक्टेयर है. उन्होंने बोला कि परियोजना का स्वामित्व चीनी कंपनी को नहीं दिया जा सकता है.
सब्री ने बोला कि वित्तीय क्षेत्र की शेष भूमि में से 116 हेक्टेयर या 43 फीसदी परियोजना कंपनी को दी जाएगी, जिसने 2013 में परियोजना प्रारम्भ की थी और पोर्ट सिटी को विकसित करने के लिए 1.4 बिलियन अमरीकी डालर खर्च किए थे.
उन्होंने बोला कि सभी 100 प्रतिशत भूमि सरकार के स्वामित्व में है. यह बोलना पूरी तरह से गलत है कि भूमि किसी और को दी गई थी.
ये है मामला
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि श्रीलंका की महिन्द्रा राजपक्षे सरकार ने पिछले सप्ताह श्रीलंकन संसद में कोलंबो पोर्ट सिटी इकोनॉमिक कमीशन नाम का एक बिल पेश किया है.
इस बिल में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में समंदर किनारे 1 अरब 40 करोड़ रुपए की लागत से एक पोर्ट सिटी बनाने का प्रस्ताव है.
इसके बाद इस बिल का पूरे श्रीलंका में भारी विरोध किया जा रहा है. श्रीलंका के लोगों का बोलना है कि इस बिल के जरिए श्रीलंका में चाइना को असीमित शक्तियां दी जा रही हैं और ये बिल श्रीलंका की संप्रभुता के लिए खतरा है.
इस बिल से श्रीलंका की संप्रभुता का पूरी तरह से उल्लंघन किया जा रहा है, लिहाजा ये बिल रद्द होना चाहिए.