असम के पूर्व सीएम और मौजूदा केंद्रीय मंत्री सर्बानंदा सोनेवाल, कानून मंत्री किरण रिजिजू की तरह ही पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो भी पीएम नरेंद्र मोदी के दुलारों में गिन जाते थे, लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उनके पॉलिटिक्स के अवसान की पटकथा लिख दी गई थी. बाबुल सुप्रियो न केवल पॉलिटिक्स को अलविदा कह रहे हैं, बल्कि वह सांसद के पद से इस्तीफा देंगे और सरकारी आवास भी एक महीने के भीतर छोड़ देंगे.
सिलिगुड़ी से दिल्ली आकर चिकित्सा सेवा में जम गए प्रो। राम के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री को विधानसभा चुनाव में उतारने और उन्हें हारने वाली सीट से प्रत्याशी बनाने का फैसला ही इसे बताने के लिए बहुत ज्यादा था. प्रो। राम कहते हैं कि उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ, जब वह पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल से भी बाहर कर दिए गए.
प्रो। राम की तरह ही पश्चिम बंगाल की बीजेपी महिला विंग की एक नेता का भी बोलना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान की स्थितियों ने बाबुल सुप्रियो को दु:खी कर दिया था. वह कहती हैं कि बाबुल सुप्रियों के क्षेत्र में तृणमूल से आए नेता के समर्थक को उम्मीदवार बना दिया गया. जिसे उम्मीदवार बनाया गया था, वह तो चुनाव हारे ही और बाबुल सुप्रियों को भी सफलता नहीं मिल पाई.
वह बताती हैं कि यहां तक तो गनीमत थी, लेकिन इसके बाद सुवेंदु अधिकारी को मिल रही तवज्जों ने अंदरुनी दशा को बहुत ज्यादा बेकार कर दिया है. इन्ही कारणों के चलते मुकुल राय समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने पार्टी को छोड़ दिया है.
पश्चिम बंगाल बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि मंत्री पद जाने के बाद से देबाश्री चौधुरी भी परेशान चल रही हैं. उन्हें बीजेपी के अंदरुनी दशा कुछ कम समझ में आ रहे हैं. पश्चिम बंगाल बीजेपी के एक उपाध्यक्ष कहते हैं कि उन्हें तो पहले से इसका अंदेशा था.
उनके जैसे तमाम नेता आशा कर रहे थे कि विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाएंगे. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने तृणमूल से आए नेताओं को अधिक महत्व दिया. अब जब पार्टी पश्चिम बंगाल में सरकार नहीं बना पाई है तो पैदा हुए दशा की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है.
सूत्र का बोलना था कि बाबुल सुप्रियो तो कभी पीएम नरेंद्र मोदी के ब्लू आई ब्वॉय कहे जाते थे. अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो इससे स्थिति की गंभीरता को सरलता से समझा जा सकता है.