नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी टकराव के बीच केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने बिजली प्रणाली की सुरक्षा के मद्देनजर चीन जैसे पड़ोसी देशों से आयात होने वाले विद्युत उपकरणों की सघन जांच अनिवार्य करने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के बाद आयातित बिजली उपकरणों की साइबर सुरक्षा के लिहाज से सघन जांच कराई जाएगी। बिजली मंत्री आरके सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआइ से खास बातचीत में यह जानकारी दी।
हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर चीन से हो रहे आयात पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सरकार ने सामानों की गुणवत्ता को लेकर क्वालिटी कंट्रोल संबंधी कई कदम उठाए हैं। यही नहीं चीन से आयात होने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाए जाने की जानकारियां भी सामने आ रही हैं। आरके सिंह ने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय ने भी पहली अगस्त से कुछ सौर ऊर्जा उपकरणों पर सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है ताकि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिजली देश का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। यदि इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया जाता है तो देश में विकास का पहिया बिल्कुल ठप हो जाएगा। आप केवल 12 से 24 घंटे के लिए ही वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं लेकिन उसके बाद बिजली चाहिए। यही वजह है कि साइबर हमलों से बिजली पारेषण प्रणालियों की सुरक्षा के लिए कड़ी निगरानी को लेकर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण यानी सीईए के अंतर्गत एक समिति भी बनाई गई है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने स्वदेशी बिजली उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है। जिन उपकरणों का यहां विनिर्माण नहीं होता उसके लिए धीरे धीरे दो से तीन साल में विनिर्माण ढांचा तैयार करने की कोशिश होगी। फिलहाल जो उपकरण आयात होंगे उनका देश की प्रयोगशालाओं में सघन जांच होगी ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें मालवेयर तो नहीं है। सघन जांच के बाद ही इन उपकरणों के इस्तेमाल की मंजूरी होगी।