सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने घोषणा की है कि हिंदुस्तान के पीएम नरेन्द्र मोदी शीघ्र ही सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. हिंदुस्तान और सिंगापुर के वरिष्ठ मंत्रियों के रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए यहां एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद उन्होंने यह बात कही. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस। जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सहित चार सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने द्विपक्षीय योगदान पर चर्चा करने और आपसी हितों के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए सोमवार को यहां दूसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) में भाग लिया.
पीएम मोदी के दौरे की तारीख तय नहीं
मंत्रियों की इस बैठक को “सकारात्मक” बताते हुए बालकृष्णन ने बोला कि इससे पीएम मोदी की सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा के लिए भी मंच तैयार हो गया है. उन्होंने यहां कहा, “हम इस पर भी काम कर रहे हैं क्योंकि बहुत जल्द ही हम पीएम मोदी की सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा की भी घोषणा करेंगे. मैं आपको परफेक्ट तारीख नहीं बता सकता, लेकिन यह जल्द ही होने वाली है.” बालकृष्णन ने बोला कि उन्नत विनिर्माण और सेमीकंडक्टर के साथ ही विमानन और समुद्री संपर्क, ऐसे नए क्षेत्र हैं जिन्हें सिंगापुर और हिंदुस्तान ने द्विपक्षीय योगदान बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिए इस उच्च स्तरीय मंच पर शामिल किया है.
कई क्षेत्रों में हिंदुस्तान के साथ बढ़ रही साझेदारी
सोमवार को भारतीय मूल के मंत्री ने बोला कि दोनों राष्ट्र उन्नत विनिर्माण और सेमीकंडक्टर पर योगदान करना चाहते हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हिंदुस्तान जरूरी रूप से विस्तार करना चाहता है, और जिसमें सिंगापुर अपनी क्षमता से कहीं अधिक सहयोग दे रहा है. सिंगापुर के विदेश मंत्री ने बोला कि आने वाले सालों में हिंदुस्तान में विमानन क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि होने की आसार है, पिछले साल ही हिंदुस्तान ने 1,000 से अधिक विमानों के लिए ऑर्डर दिया है. उन्होंने बोला कि आने वाले सालों में रखरखाव और हवाई परिचालन जैसी सेवाओं के लिए यह बहुत अच्छे अवसर प्रस्तुत करता है. यह एक अन्य विशिष्ट क्षेत्र है, जहां सिंगापुर और उसकी कंपनियां वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं. उन्होंने कहा, “1.4 अरब से अधिक लोगों वाला राष्ट्र अब अपने विमानन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधार की ओर बढ़ रहा है. यह दो, तीन दशक में एक बार मिलने वाला अवसर है, और यह अच्छी बात है कि हम एक तरह से अग्रिम पंक्ति में हैं और हमारे पास (सहयोग करने का) मौका है.