नई दिल्ली . राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को बोला कि राष्ट्र को विकसित बनाने के लिए खनिज उत्पादन में आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण है और हरित पर्यावरण के लिए रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किये. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोला कि 2047 तक हिंदुस्तान को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खनिज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना जरूरी है. गवर्नमेंट राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा रिपॉजिटरी पोर्टल के माध्यम से भू-वैज्ञानिक डेटा के एकीकरण, खनिज संसाधनों की खोज और खनन में एआई और उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल जैसे कई कदम उठा रही है.
राष्ट्रपति ने बोला कि सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए हिंदुस्तान नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. बड़े पैमाने पर स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के हमारे कोशिश इस लक्ष्य के अनुरूप हैं.
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हरित बदलाव के लिए जरूरी खनिजों और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे खनिजों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय जरूरी खनिज मिशन की स्थापना से हिंदुस्तान को आत्मनिर्भर बनने और आर्थिक विकास तथा हरित बदलाव के लिए जरूरी जरूरी खनिजों की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने में सहायता मिलेगी.
राष्ट्रपति ने कोलकाता में राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना पर खुशी जताई, जो भूस्खलन की संभावना वाले सभी राज्यों के लिए पूर्व चेतावनी जारी करेगा.
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमें अपनी प्रणालियों को इतना परफेक्ट और विश्वसनीय बनाना होगा कि भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं से कम से कम हानि हो.
राष्ट्रपति ने बोला कि हिंदुस्तान का भूवैज्ञानिक इतिहास इसकी चट्टानों, मैदानों, जीवाश्मों और समुद्री तलों में दर्ज है और हम इसे अपनी भूवैज्ञानिक विरासत कह सकते हैं.
उन्होंने युवाओं से भू-पर्यटन और भू-विरासत स्थलों के महत्व को समझने का आग्रह किया. उन्होंने बोला कि भू-पर्यटन लोगों को भूविज्ञान के क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने का माध्यम हो सकता है.