बाज़ार में जंक, पैकेज्ड और फ्रोज़न खाने ने हमारी ज़िंदगी ज़रूर आसान बना दी है, लेकिन इसके साथ ही दुनियाभर में मोटापे की समस्या को बढ़ा भी दिया है। ऊपर से चल रही कोरोना वायरस महामारी ने हमारी जीवन शैली में ऐसा पूर्णविराम लगाया है, जिससे स्थिति बदतर हो गई है।
आज मोटापा कैंसर के साथ अधिकांश गैर-संचारी रोगों के पीछे मुख्य वजह बन गया है, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक। ऐसे में आयुर्वेद आपकी वज़न घटाने में मदद कर सकता है।
वज़न घटाने के आयुर्वेदिक डाइट टिप्स
आयुर्वेद के मुताबिक, मीठा, खट्टा और नमकीन ये तीन ऐसे रस हैं, जो वज़न को बढ़ाते हैं इसलिए अगर आप वज़न घटाने की सोच रहे हैं, तो इनका सेवन कम से कम होना चाहिए।
सफेद चीनी और नमक शरीर में पानी को रोके रखते हैं। सफेद चीनी की जगह गुड का सेवन बेहतर है। वहीं, नमक की जगह सेंधा नमक ज़्यादा सेहतमंद साबित होगा।
प्रोटीन से भरपूर नाश्ता करें: पनीर और गाढ़े दही का सेवन कम रखें। दूध और छाछ का सेवन भी ज़्यादा न करें। चीज़ और दूध की मलाई से दूर रहें।
मैदा, सफेद चावल, सफेद ब्रेड और ऐसी खाने की चीज़े जिनमें फाइबर की कमी है और कार्बोहाइड्रेट व स्टार्च से भरपूर हैं, को खाने से बचें। ये सिर्फ शरीर का वज़न बढ़ाती हैं।
बेकरी में मिलने वाली चीज़ें जैसे बिस्किट्स और पेस्ट्रीज़ भी कैलोरी से भरपूर होती हैं। इनमें काफी फैट और चीनी होती है जिसे डाइट से बिल्कुल बाहर कर देना चाहिए।
धीरे-धीरे खाएं और ध्यान दें कि कभी भी ज़रूरत से ज़्यादा न खाएं। संतुलित आहार लेने की कोशिश करें, जिसमें 25% प्रोटीन, 25% काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स, 25% पकी हुई हरी सब्ज़ियां और 25% ताज़ा और कच्चा सलाद हो। सही तरीके से वज़न घटाने के लिए लौकी, तुरई, परवल और करेले को डाइट में ज़रूर शामिल करें। साथ ही मौसमी फल और सब्ज़ियां ज़रूर खाएं।
अपने खाने में हल्दी, दालचीनी, ज़ीरा, मेथी, काली मिर्च और अदरक का इस्तेमाल करने से मोटाबॉलिज़म को बढ़ावा मिलता है और शरीर से वसा भी कम होती है। लहसुन, प्याज़ और मिर्च का भी रोज़ाना सही मात्रा में इस्तेमाल करना अच्छा है।
इलायची पित्त को संतुलन में रखती है, जो एसिड रिफ्लक्स और ब्लोटिंग जैसी परेशानी में मदद करता है।
त्रिफला और अमृत जैसी जड़ी बूटियों का सेवन वज़न घटाने में सहायता करता है। गुग्गुल या ऐसी अन्य जड़ी-बूटियों को किसी चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही लिया जा सकता है।