वर्क फ्रॉम होम और मौजूदा उथल-पुथल ने नींद को प्रभावित किया है। हालिया अध्ययन इस बात की तस्दीक भी करते हैं। नींद आपके लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर और दिमाग को दुरुस्त रखने में मदद करती है। मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट क्रिस्टोफर विंटर कहते हैं कि जब आप पूरी नींद नहीं लेते हैं तो आपका दिमाग सही ढंग से काम नहीं कर पाता है। वह कहते हैं कि इसका सीधा असर काम से लेकर आपके रिश्तों पर पड़ता है। इसीलिए समुचित नींद बेहद जरूरी है। सोना अचेतन की अवस्था होती है। सोने के दौरान लगातार इस्तेमाल होने वाली मांसपेशियां और जोड़ रिकवर होते हैं, रक्तचाप और हृदय गति नियंत्रित रहते हैं। इस दौरान शरीर में ग्रोथ हार्मोन का स्राव होता है। नींद में ही दिमाग रोजमर्रा की सूचनाओं को एकत्रित करने का काम करता है। पर्याप्त नींद नहीं लेने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। नींद पूरी नहीं होने से इम्यूनिटी भी प्रभावित होती है।
भावनाओं पर कम हो रहा नियंत्रण
क्या आपको कभी-कभी रात को बेचैनी सी लगती है या दिमाग में काफी ख्याल एक साथ कौंधने लगते हैं। यह नींद की कमी से होता है। विंटर कहते हैं कि नींद कम होने से एमडेग्ला सही से काम नहीं करता है। ऐसी स्थिति में एमडेग्ला ज्यादा और कम न्यूरोट्रांसमीटर्स का उत्सर्जन करने लगता है। इसकी वजह से आप चीजों में ओवररिएक्ट करने लगते हैं और दूसरों की भावनाओं की कद्र नहीं करते हैं। 2013 में आए एक अध्ययन में सामने आया था कि कम नींद आने की वजह से एमडेग्ला एक्टिविटी के गड़बड़ाने की वजह से ही डिप्रेशन और तनाव की समस्या होती है।
स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट जेनेफिर मार्टिन कहती हैं कि जब हमें नींद कम आती है तो हम बेवजह की बातों पर भी रिएक्ट करने लगते हैं। ऐसे में टकराव और रिश्तों में तनाव की संभावना बढ़ जाती है। मार्टिन कहती हैं कि आपने देखा होगा कि अगर किसी बच्चे की नींद पूरी न होती है तो वह चिड़चिड़ा लगने लगता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि जो लोग दुखी और डिप्रेशन में होते हैं, उनकी नींद पूरी नहीं होती है। इसलिए रिश्तों की बेहतरी के लिए यह जरूरी है कि लंबी, गंभीर बातचीत को उस दिन या समय करें, जब आप तरोजाजा हों। उस स्थिति में हम सही और कारगर निर्णय ले सकते हैं।
सेहत को करती है प्रभावित
कम नींद लेने का असर आपकी सेहत पर भी पड़ता है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि इसकी वजह से आपको डायबिटीज, मोटापा, दिल के रोग और डिप्रेशन की शिकायत होती है। अगर आपका स्वास्थ्य बेहतर नहीं होगा तो आप खुश नहीं रहेंगे, जिसका सीधा असर रिश्तों पर पड़ना लाजिमी है।
अलग स्लीप शेड्यूल भी प्रभावित करता है रिश्ते
अगर आपकी शिफ्ट बार-बार बदलती है या फिर अलग शिफ्ट है तो यह आपके स्वास्थ्य, नींद और रिश्तों के लिए एक चुनौती बन जाती है। मार्टिन कहती हैं कि ऐसी स्थिति में बेहद जरूरी है कि आपको जिस दिन अवकाश मिलता है, पार्टनर से संवाद जरूर करें। यहीं नहीं अपना टाइम मैनेजमेंट और नींद का शेड्यूल ऐसा बनाएं कि एक-दूसरे के लिए वक्त निकाल पाएं। यही नहीं आप अपने और पार्टनर की नींद का सम्मान करें। इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि अगर आपका शेड्यूल अलग-अलग है तो आप रात के समय मोबाइल पर समय बिताने की बजाए अपने पार्टनर को समय दें।
– कॉफी, चाय, कोला, चॉकलेट का सेवन सीमित मात्रा में करें। निकोटीन, अल्कोहल और कैफीन से आपकी नींद बाधित होती है।
– अपने दिमाग और शरीर को रिलैक्स होने का समय दें।
– मेडिटेशन करें, किताब पढ़ें, संगीत सुनें और एरोमाथैरेपी करें।
– सोने और जागने की दिनचर्या बनाएं।
लॉकडाउन से सोने की आदत में हुआ बदलाव
कोरोना की वजह से लोगों की नींद बुरी तरह से प्रभावित हुई है और क्वालिटी नींद में कमी आई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश और देश के अन्य 25 चिकित्सा संस्थानों के एक अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, हेल्थ प्रोफेशनल को छोड़कर सभी पेशेवरों के साथ यह हो रहा है। नींद में आ रही कमी या स्लीपिंग पैटर्न में हुए बदलाव से लोग हताश हो रहे हैं।
26 फीसदी लोग हताश थे नींद नहीं पूरी होने की वजह से लॉकडाउन से पहले
48 लोग ठीक से नहीं सो पा रहे हैं लॉकडाउन के बाद
19 फीसदी लोगों को बेचैनी की शिकायत थी लॉकडाउन के पहले
47 प्रतिशत लोगों को हो रही बेचैनी लॉकडाउन के बाद
79.4 फीसदी लोगों को बिस्तर पर आधे घंटे बाद नींद आती थी पहले
56.6 प्रतिशत लोगों के साथ ऐसा होने लगा लॉकडाउन के बाद
3.8 प्रतिशत लोग बिस्तर पर जाने के एक घंटे बाद सो जाते थे लॉकडाउन से पहले
16.99 प्रतिशत लोग लॉकडाउन के बाद बेड पर जाने के एक घंटे के बाद भी सो नहीं पाते हैं|