बाइडन प्रशासन ने चीन को अमेरिका का बड़ा प्रतिद्वंद्वी स्वीकार करते हुए कहा है कि वह बीजिंग की ‘आक्रामक व प्रतिरोधी’ कार्रवाइयों का विरोध करेगा। अमेरिका और चीन के संबंध पहले कभी इतने खराब नहीं रहे।
दोनों देशों के बीच व्यापार, कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, विवादित दक्षिण चीन सागर में आक्रामक सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार एवं ताइवान समेत कई मामलों पर तनाव की स्थिति है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, हम जब चीन की बात करते हैं, तो हम बीजिंग के प्रति रणनीतिक नजरिये की बात करते हैं। हमारी चीन के साथ गंभीर प्रतिद्वंद्विता है और हम उसके साथ रिश्तों को इसी चश्मे से देखते हैं।
प्राइस ने कहा कि चीन के कदमों ने अमेरिकी कर्मियों को नुकसान पहुंचाया है और वैश्विक संस्थाओं में अमेरिकी गठबंधनों एवं प्रभाव को खतरा पैदा किया है। उन्होंने कहा कि चीन ने मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है।
प्राइस ने कहा, हम चीन की आक्रामक एवं प्रतिरोधी कार्रवाई का विरोध करेंगे, अपनी सैन्य बढ़त को बनाए रखेंगे, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे, उन्नत तकनीक में निवेश करेंगे और अपनी अहम सुरक्षा साझेदारियों को बनाए रखेंगे।
चीन से ताइवान पर दबाव न बनाने की अपील
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक सवाल के जवाब में चीन से कहा कि वह ताइवान पर सैन्य, कूटनीतिक एवं आर्थिक दबाव न बनाए। उन्होंने चीन से ताइवान के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेतृत्व के साथ अर्थपूर्ण वार्ता की अपील की।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि चीन के प्रति बाइडन प्रशासन का दृष्टिकोण रणनीतिक है और वह सहयोगियों से रिश्ते और मजबूत करेगा।