वॉशिंगटन
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही हजारों की संख्या में अफगान नागरिकों ने अपने परिवारों के साथ काबुल एयरपोर्ट के बाहर डेरा डाला हुआ है. रविवार को ही एयरपोर्ट के बाहर हुई फायरिंग में 7 लोगों की मृत्यु हुई है. इसके बावजूद हजारों लोगों की भीड़ अब भी सुरक्षित रूप से बचाए जाने के लिए विदेशी उड़ानों का इन्तजार कर रही है. इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने काबुल हवाई अड्डे की स्थिति को अविश्वसनीय रूप से अस्थिर बताया है.
तालिबान के कब्जे के बाद डरे लोग
तालिबान ने 14 अगस्त को अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया था. अमेरिकी सैनिकों को इस महीने की अंतिम दिनांक को अफगानिस्तान से वापल लौटना था. लेकिन इससे दो हफ्ते पहले ही तालिबान के कब्जे ने सभी समीकरणों को उलट-पुलट कर दिया है. 20 वर्ष तक अमेरिकी सेना से ट्रेनिंग पाए हुए अफगान नेशनल आर्मी के जवानों ने तालिबान के सामने घुटने टेक दिए हैं.
हजारों लोग छोड़ रहे देश
तालिबान के नए शासन से बचने और अमेरिका सहित विभिन्न राष्ट्रों में शरण लेने के लिए हजारों अफगान और विदेशी नागरिक देश छोड़ रहे हैं. इस कारण काबुल हवाई अड्डे पर पूरी तरह तानाशाही का माहौल है. लोग अपने बच्चों को एयरपोर्ट की सुरक्षा दीवार के पार अमेरिकी और नाटो सैनिकों के पास पहुंचा रहे हैं.
एंट्री पाइंट्स पर लोगों की भारी भीड़
ब्लिंकन ने फॉक्स न्यूज को दिये साक्षात्कार में बताया कि हवाईअड्डे के बाहर एंट्री पॉइंट्स पर भीड़ जमा हो गई है. यह अविश्वसनीय रूप से अस्थिर स्थिति है. हमने आहत लोगों की भयावह फोटोज़ देखी हैं और यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि हम अपनी क्षमता के मुताबिक सर्वश्रेष्ठ करें. इस समय अमेरिका के लगभग 6000 जवान काबुल में तैनात हैं.
अमेरिका ने 18 हजार से अधिक लोगों को निकाला
अमेरिका ने दो दिन पहले तक अफगानिस्तान से करीब 18000 लोगों को बाहर निकाला था. इनमें से 1200 अफगान नागरिक हैं. इन लोगों को कतर के रास्ते अमेरिका लेकर जाने की तैयारी है. आने वाले हफ्तों में अमेरिका ऑपरेशन एलाइज रिफ्यूजी नाम से मिशन चलाने जा रहा है. इससे इनकी संख्या बढ़कर 3500 तक हो सकती है. इन लोगों को यूएस रिफ्यूजी एडमिशन कार्यक्रम के अनुसार सहायता की जा रही है.
10 हजार अफगानों को शरण देने का प्लान
अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि अमेरिका का उद्देश्य आज भी एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित अफगानिस्तान बनाने का ही है. बोला जा रहा है कि अमेरिका 10 हजार तक अफगानी शरणार्थियों को शरण दे सकता है. इनमें से बड़ी तादाद उन लोगों की है जिन्होंने अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान में सहायता की है