रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वर्चुअल बैठक में कहा है कि वो यूरोपीय संंघ के साथ संबंधों को बेहतर करने के इच्छुक हैं। साथ ही यूरापीय संंघ के साथ व्यापारिक साझेदारी को भी बढ़ाना चाहते हैं। उनका ये बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी सरकार के घोर विरोधी एलेक्सी नवलनी की गिरफ्तारी और इसके बाद उनके समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों पर बल प्रयोग करने के मुद्दे पर रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेरुखी का सामना करना पड़ा है।
यूरोपीय संंघ ने इस मुद्दे पर पहले से ही कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है। ईयू और इसमें शामिल देश लगातार इस पूरे घटनाक्रम के लिए पुतिन को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस मुद्दे के बाद रूस को कई तरह के प्रतिबंधों को भी झेलना पड़ रहा है। इस बीच यूरोपीय संंघ की एक अहम बैठक ब्रसेल्स में होनी है, जिसमें रूस को लेकर कोई कड़ा फैसला भी हो सकता है।
इस बैठक से पहले ही लिथुआनिया के विदेश मंत्री गाब्रेलियस लांडबेर्गिस ने रूस के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है। उनका कहना है कि रूस में जिस तरह से बदलाव के आसार बन रहे हैं उसका यूरोपीय संंघ को भी समर्थन करना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि ये वक्त है कि जब रूस को सीधा संदेश दिया जाना चाहिए। इसके लिए ईयू को इस बदलाव का समर्थन करना होगा। उन्होंने रूस पर और अधिक कड़े प्रतिबंधों का भी आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि रूस जिस तरह से अपने विरोधियों के साथ बर्ताव कर रहा है, वो ईयू को स्वीकार्य नहीं है।
रूस पर पहले से ही यूरोपीय संघ ने ऊर्जा, आर्थिक और हथियार से जुड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। ये प्रतिबंध रूस पर वर्ष 2014 में उस वक्त लगाए गए थे, जब रूस ने क्रीमिया को अपने में मिला लिया था। इसके बाद अगस्त 2020 में एलेक्सी नवलनी को जहर देकर मारने की साजिश रचने के आरोप में भी रूस पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे।
इस मुद्दे पर लातविया और एस्तोनिया भी लिथुवानिया का साथ देते हुए दिखाई दे रहे हैं। इटली ने भी साफ कर दिया है कि वो रूसी अधिकारियों के ट्रैवल बैन और उनकी संपत्तियों को जब्त कर लेने का समर्थन करता है। इन सभी देशों की मांग है कि एलेक्सी नवलनी को तत्काली रिहा किया जाए। हालांकि, ईयू की बैठक में उठने वाले प्रतिबंध के मुद्दे पर यूरोपीय संघ के सबसे ताकतवर देशों की राय काफी मायने रखती है। इनमें जर्मनी और फ्रांस शामिल हैं। गौरतलब है कि यूरोपीय संघ को तेल और गैस का एक प्रमुख निर्यातक रूस ही है।