अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ हुए सभी हथियार सौदों को रद कर दिया है। अमेरिका ने ये फैसला वहां पर तालिबान के कब्जे के बाद किया है। इससे पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान द्वारा विदेश में जमा किया गए धन की निकासी पर भी रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं अमेरिका के कहने पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद की राशि को रद कर दिया है।
आईएमएफ से अफगानिस्तान को करीब चार हजार करोड़ की राशि मिलने वाली थी। वहीं अमेरिका जो विदेश में जमा जिस रकम की निकासी पर रोक लगाई है वो करीब 70 हजार करोड़ रुपये है। इसके अलावा 50 हजार करोड़ रुपये का सोना भी है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद ये राशि उसको नहीं मिल सकेगी।
जहां तक अमेरिका के ताजे फैसले का जिक्र है तो आपको बता दें कि जो बाइडन प्रशासन की तरफ से इस संबंध में हथियार निर्माण करने वाली कंपनी और कांट्रैक्टर्स को भी नोटिस भेज दिया गया है। इस नोटिस को सैन्य मामलों के ब्यूरो ने भेजा है। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान को बेचे जाने वाले उन हथियारों को जिनकी डिलीवरी फिलहाल नहीं हुई है, उनको अब रोक दिया जाए। इसमें इसकी वजह अफगानिस्तान के बदलते हालातों को बताया गया है। इसमें कहा गया है कि पेंटागन सभी लंबित और जारी एक्सपोर्ट लाइसेंस की भी समीक्षा कर रहा है। अमेरिका ने हथियार कंपनियों को साफ कर दिया है कि वो जब तक की अगला आदेश न दिया जाए तब तक कोई कदम आगे न बढ़ाएं।
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने उन अमेरिकी हेलीकाप्टर्स पर भी कब्जा जमा लिया है जो अफगान सेना के उपयोग के लिए दिए गए थे। इसके अलावा इसमें सैकड़ों बख्तरबंद गाडि़यां भी शामिल हैं। यहां पर कब्जे के बाद तालिबान को बड़ी मात्रा में शस्त्र भी हासिल हो गए हैं। इनमें करीब 7 हजार मशीन 4 हजार से अधिक हाईमोबिलिटी मल्टीपर्पज व्हील्ड व्हीकल (जिनको हवाई हमलों से बचने के लिए तैयार किया गया था), राइफल की लाखों गोलियां, हजारों हैंड ग्रेनेड, टैंक, राकेट लान्चर, समेत स्कैन ईगल ड्रोन भी शामिल हैं। काबुल में खड़े सैकड़ों अमेरिकी सैन्य वाहनों पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है।
इतना ही नहीं तालिबान को अफगान सेना के कर्मियों और खुफिया सूत्रों का पूरा डाटा भी हासिल हो चुका है। उन्होंने बायोमैट्रिक डिवाइस को अपने कब्जे में ले लिया है जिसमें सारा ब्योरा मौजूद हे। इस तरह से उनके पास हर उस जवान की जानकारी पहुंच गई है जिन्होंने उनके खिलाफ हथियार उठाए थे। ऐसे में ये उन जवानों और उनके परिवारों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।