अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से पूरा विश्व चिंता के साए में जी रहा है। लेकिन, वहीं दूसरी चिंता इस बात को लेकर भी जताई जा रही है यदि अफगानिस्तान में अस्थिरता का माहौल बना रहा तो ये चीन समेत सभी पड़ोसी देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। येरूशलम पोस्ट के लिए लिखे गए एक लेख में सेंटर आफ पालिटिकल एंड फोरेन अफेयर्स में इंटरनेशनल रिलेशन के डायरेक्टर केली अलखोली ने कहा है कि अस्थिरता की स्थिति में अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट खुरासान ग्रुप को पनपने का अवसर मिल जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो पड़ोसी देशों की सीमाओं पर खतरा बढ़ जाएगा।
आईएस इस सूरत में इन सीमाओं के अंदर हमले तेज कर देगा और इसके चलते वहां बसे नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने इस लेख में ये भी लिखा है कि इस ग्रुप ने पिछले दिनों काबुल के एयरपोर्ट पर हमला करके इसका सीधा संकेत दे दिया है। ये संकेत इस बात को लेकर भी है कि तालिबान के आने से वो कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि मजबूत हो रहा है। आपको बता दें कि इस हमले में करीब 170 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 के करीब लोग घायल हो गए थे।
30 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट से आखिरी अमेरिकी विमान के रवाना होने के बाद यहां पर तालिबान के आतंकियों ने अपना कब्जा जमा लिया था। इसके साथ ही दो दशक से जारी जंग पूरी तरह से खत्म हो गई थी। चीन और तालिबान के गठजोड़ पर अलखोली ने कहा है कि अमेरिका के इस तरह से यहां से जाने की वजह से यहां पर मानवीय संकट खड़ा हो गया है। इसके साथ ही यहां पर आतंकी हमलों का खतरा भी बढ़ गया है। चीन ने तालिबान से विकास को लेकर गठजोड़ किया है। इसका एक संकेत ये भी है कि वो इस सरकार को मान्यता भी दे सकते हैं।
जुलाई में तालिबान के नेता मुल्ला बरादर अखुंद ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच दोस्ताना संबंध बनाने पर चर्चा हुई थी। उनका कहना है कि चीन की अफगानिस्तान में सबसे बड़ी प्राथमिकता अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। वो चाहता है कि उसके शिनजियांग प्रांत को आतंकी हमलों से बचाकर रखा जा सके। इसलिए चीन तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के साथ जाने को राजी हुआ है। पिछले कुछ वर्षों चीन लगातार इस प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ जो कर रहा है उसको पूरी दुनिया ने देखा है। तालिबान ने भी चीन के साथआगे बढ़ने की सहमति जताई है।
तालिबान इस बात से भी काफी खुश है कि वो यहां पर न सिर्फ निवेश कर रहा है बल्कि उसकी सरकार के लिए फंड भी मुहैया करवाने वाला है। आपको बता दें कि चीन लगातार इन आरोपों का खंडन करता रहा है कि वो शिनजियांग प्रांत में उइगरों पर किसी तरह का अत्याचार कर रहा है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने सरकार की कमान हसन अखुंद के हाथों में सौंपी है जबकि बरादर और हनाफी को उसका डिप्टी नियुक्त किया गया है।