कुछ दशक पहले जब मोबाइल फोन आया तो किसी को अंदाजा नहीं था कि इसके सहारे हम भी किसी अनूठी दुनिया में पहुंच सकते हैं। ये दुनिया है मेटावर्स की। 2022 मेटावर्स का वर्ष होने की उम्मीद है। एक आभासी ब्रह्मांड जहां वास्तविकता कल्पना से मिलती है।
यह कितना सुरक्षित होगा? क्या यह हमारे जीवन को बेहतर बनाएगा या यह वास्तविकता की हमारी धारणा में हेरफेर करेगा? दरअसल, इंटरनेट की शुरुआत जब हुई थी तो ज्यादातर चीजें टेक्सट के फॉर्म में हुआ करती थी। इसके बाद आया वेब 2.0 जो अभी मौजूदा समय में है। वेब 2.0 में टेक्सट के अलाबा सबकुछ है। ऑडिय़ो और वीडीयो के साथ ही थ्रीडी व इमर्सिव एक्सपीरियंस भी। वेब 2.0 के बाद से मेटावर्स की कहानी शुरू होती है।
मेटा है क्या
मेटावर्स के बारे में बात करने से पहले आपको बता दे कि मेटा ग्रीक का शब्द है। जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है बियॉन्ड यानी आगे या उससे पार। ये प्रिफिक्स के तौर पर इस्तेमाल होता है। 1992 में स्टीवन स्टीफेंसन ने अपनी स्नो क्रैश नाम की साइंस फिक्शन नॉवेल में मेटावर्स टर्म का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कल्पना की थी कि मेटावर्स एक स्पेस होगा जहां लोग अपने अवतार के जरिए एक दूसरे से बातचीत कर पाएंगे। अब मेटा को यूनवर्स यानी ब्रह्मांड के साथ जोड़कर मेटावर्स बनाया गया है। ये हमारी यूनिवर्स के साथ रची जा रही काल्पिनिक दुनिया होगी। अब तक हम जो भी इंटरनेट पर करते थे उसे सामने स्क्रीन पर देखते थे। लेकिन मेटावर्स में हम उसका हिस्सा होंगे यानी की स्क्रीन के उस पार भी पहुंच जाएंगे।
फेसबुक से लेकर एप्पल तक दौड़
एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, गूगल मेटावर्स की दौड़ में हैं। पिछले दिनों फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने ऐलान किया कि जिस तरह गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट है उसी तरह फेसबुक की पेरंट कंपनी मेटा होगी। एप्पल का मिक्स्ड रियलिटी हेडसेट इस साल आने वाला है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि iPhone-निर्माता नए उत्पाद को लॉन्च करते समय मेटावर्स के बारे में नहीं बातने वाले हैं। ब्लूमबर्ग ने पहले बताया था कि ऐप्पल एमआर हेडसेट 2000 डॉलर से शुरू होगा।
हमारी जिंदगी कैसे बदल जाएगी
एक्सपर्ट बता रहे हैं कि मेटावर्स सिर्फ वर्चुअल रिएलिटी नहीं है। इसे और रिएलिटी, दोनों ही तरह के प्लैटफॉर्म से ऑपरेट किया जा सकता है। दुनि में जहां हमारे आसपास पूरी तरह से काल्पनिक दुनिया क्रिएट की जाती है जो हम खर हेडसेट लगाकर गेमिंग करते हुए भी पाते हैं। वहीं अस्मेिटिडलिटी में असली दुनिया में ही काल्पनिक चीजें जुड़ जाती हैं।
मेटावर्स का कंट्रोल
काल्पनिक दुनिया का कंट्रोल किसके हाथ में होगा? अब तक पूरी दुनिया में डिजीटल करेंसी को मान्यता नहीं मिी है जबकि मेटावर्स में डिजीटल करेंसी से शॉपिंग होगी। ऐसे में धोखाधड़ी हुई तो कहां गुहार लगाई जाएगी।