भारत ने 7 अक्टूबर को पाकिस्तान सरकार को एक मैसेज भेजा था। इसमें कहा गया था कि भारत सरकार अफगानिस्तान में भूख से परेशान लोगों को 50 हजार टन गेहूं और दवाइयां भेजना चाहती है। इसलिए पाकिस्तान इंसानियत के नाते मदद करे और वाघा बॉर्डर से भारत के ट्रकों को यह सामान लेकर अफगानिस्तान जाने दे। दो महीने से ज्यादा गुजरे, लेकिन इमरान सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी। गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा- यह मुश्किल ऑपरेशन है। पाकिस्तान से बातचीत जारी है। सही वक्त पर जानकारी दी जाएगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले पर कहा- हम अफगानिस्तान की मदद जारी रखेंगे। भारत सरकार इस मसले पर पाकिस्तान के संपर्क में है। हम जानते हैं कि यह मुश्किल ऑपरेशन है। आप लोगों को भी धैर्य रखना चाहिए। भारत ने पिछले हफ्ते अफगानिस्तान को एयर रूट के जरिए दवाइयां और लाइफ सेविंग इक्युपमेंट्स भेजे थे। रिटर्न फ्लाइट में 10 भारतीय और 94 अफगान नागरिक भारत आए थे। भारत ने 10 नवंबर को एक मीटिंग बुलाई थी। इसमें रूस, ईरान, कजाकस्तान, किर्गीस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के NSA शामिल हुए थे। इसी मीटिंग में अफगानिस्तान को गेहूं और दवाइयां भेजने का वादा किया गया था।
पाकिस्तान को क्या परेशानी
7 अक्टूबर को भेजे गए भारतीय विदेश मंत्रालय के लेटर का जवाब पाकिस्तान ने 24 नवंबर को दिया। इसमें फिजूल सी शर्तें रख दीं। उसका कहना है कि भारत के ट्रक वाघा बॉर्डर पर सामान उतारकर पाकिस्तान के ट्रकों में लोड कर दें। वहां से इन्हें पाकिस्तान के ट्रकों में लोड किया जाए। फिर ये ट्रक अफगानिस्तान पहुंचें।
दरअसल, पाकिस्तान एक तीर से दो शिकार करना चाहता है। पहला- पाकिस्तानी ट्रक जब सहायता सामग्री लेकर जाएंगे तो बीच में इस पर हाथ साफ किया जा सकता है, यानी चोरी की जा सकती है। इन्हें अपने गोदामों में ट्रांसफर कर सकता है। दूसरा- ट्रकों पर पाकिस्तान का झंडा होगा। मतलब अफगानिस्तान की जनता ये समझे कि उन्हें भूख से बचाने के लिए पाकिस्तान गेहूं और दवाईयां भेज रहा है।
भारत भी सतर्क
पाकिस्तान की शर्तों या मांगों को भारत सरकार बहुत बेहतर समझती है। यही वजह है कि भारत ने पहले ही साफ कर दिया कि अफगानिस्तान तक भारत के ही ट्रक जाएंगे। इन ट्रकों के साथ UN की टीम होगी।