बजट को लेकर केंद्र गवर्नमेंट विपक्ष के निशाने पर आ गया है. यही कारण है कि विपक्ष शासित कई राज्यों के सीएम नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और उनके कर्नाटक समकक्ष सिद्धारमैया के एक दिन बाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. रेड्डी ने बोला कि बहिष्कार को विरोध के रूप में चिह्नित किया जाएगा. केंद्र ने कथित तौर पर तेलंगाना के अधिकारों को “चोट” पहुंचाई और इसके लिए धन जारी नहीं किया. उन्होंने विधानसभा में गवर्नमेंट के निर्णय की घोषणा की.विधानसभा ने दिन भर की बहस के बाद केंद्रीय बजट में राज्य के प्रति केंद्र के कथित भेदभाव के विरुद्ध एक प्रस्ताव पारित किया. हालांकि, विपक्षी भाजपा ने सदन में इस प्रस्ताव का विरोध किया. कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. उनका दावा है कि केंद्रीय बजट में राज्य की मांगों की ‘उपेक्षा’ करने के विरोध में कर्नाटक इस बैठक का बहिष्कार करेगा. उन्होंने बोला कि कर्नाटक की जरूरी जरूरतों पर चर्चा के लिए नयी दिल्ली में सर्वदलीय सांसदों की बैठक बुलाने के मेरे गंभीर प्रयासों के बावजूद, केंद्रीय बजट ने हमारे राज्य की मांगों की उपेक्षा की है.
तमिलनाडु के सीएम एम।के। स्टालिन ने मंगलवार को बोला कि केंद्रीय बजट में राज्य की पूरी तरह से अनदेखी की गई और वह 27 जुलाई को दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे. स्टालिन ने बजट को बहुत निराशाजनक करार देते हुए बोला कि वैसे केंद्र गवर्नमेंट ने तमिलनाडु को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, इसलिए नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना उपयुक्त होगा.नीति आयोग की बैठक
प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं और उनकी अध्यक्षता में हर वर्ष इसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक होती है. केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक ही काउंसिल की स्थपना की गई है. इसमें सभी राज्यों के सीएम, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासक सदस्य हैं. अब तक गवर्निंग काउंसिल की आठ बैठकें हो चुकी हैं. इस बैठक में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, विभिन्न सेक्टरों, विभागों से जुड़े विषयों और संघीय मुद्दों पर चर्चा होती है.