चेन्नई। तमिलनाडु (Tamilnadu) में द्रमुक सरकार (DMK Government) की ओर से चलाए जा रहे विशेष अभियान के अनुसार बड़ी मूल्य की मंदिरों की ऐसी जमीनों को वापस हासिल करने में सफलता हासिल की है, जिस पर कब्ज़ा (Encroachment) किया गया था। सरकार ने पिछले चार महीनों में 1,000 करोड़ रुपये की मंदिर की अतिक्रमित जमीन को फिर से अपने कब्जे में ले लिया है। साथ ही बोला जा रहा है कि ऐसी अभी और जमीन है, जिसके लिए भी अभियान चलाया जाएगा। दरसअल मई में सत्ता में आने के बाद से ही यह मामला द्रमुक सरकार की अहमियत में रहा है।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के मंत्री पीके शेखर बाबू ने बताया, ‘आज भी हमने एक प्राइम प्रॉपर्टी को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी की है। यह चेन्नई शहर में 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। ’ उनका विभाग प्रदेश भर में ऐसे मंदिरों की जमीन को चिह्नित करने और पुनः प्राप्त करने के अभियान पर कार्य कर रहा है।
अभी ताजा रूप में अतिक्रमणकारियों से वापस ली गई जमीन कांचीपुरम एकंबरेश्वर मंदिर से संबंधित थी, जो चेन्नई के पूनमल्ली हाई रोड पर 49 मैदानों में फैली हुई थी। जानकारों की एक समिति भूमि पर कुछ मौजूदा संरचनाओं के उपयोग के दायरे को देखेगी। विभाग ने अतिक्रमणकारियों से 12 करोड़ रुपये बकाया भी मांगा है।
मंत्री बाबू ने बोला कि उनके ऑफिसर प्रदेश भर में मंदिरों की संपत्ति के दस्तावेजों और संपत्ति के डिजिटलीकरण की एक अन्य परियोजना पर भी तेजी से कार्य कर रहे हैं। इसके अनुसार मंदिरों की जमीन की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की योजना है। तमिलनाडु में करीब 44,000 मंदिर हैं, जिन्हें डिजिटलीकरण और जीआईएस मैपिंग प्रोजेक्ट के अनुसार कवर किया जा रहा है।
मंदिर की जमीन को फिर से वापस लेने में द्रमुक सरकार की विशेष रुचि भी सियासी महत्व रखती है, क्योंकि केरल में सबरीमला मामले के बाद हिंदुत्व वादी समूहों द्वारा और हाल ही में सद्गुरु जगदीश वासुदेव द्वारा कथित आधार पर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाया गया है।
द्रमुक की चुनावी जीत के बाद एक बड़ा टकराव मंदिर के मामले पर भी था। प्रदेश के वित्त मंत्री पी थियागा राजन ने वासुदेव को कॉमर्शियल ऑपरेटर बोला था। मंत्री, वासुदेव की मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और उन्हें भक्तों को सौंपने की मांग का उत्तर दे रहे थे। सरकार के चल रहे इस अभियान ने द्रमुक को हिंदुत्व वादी समूहों को चुप कराने के साथ-साथ भाजपा नेताओं से सराहना प्राप्त करने में सहायता की है।