सोमवार को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम अपने संदेश में पूरे देश के मुफ्त टीकाकरण का ऐलान किया। लेकिन कोविड-19 टीकाकरण की रणनीति पर याद दिलाया कि इन्सानियत के इस कार्य में वाद टकराव को पूरा देश अच्छा नही मानता है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी उन लोगों को भी आड़े हाथों लिया जो वैक्सीन को लेकर दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को लकर भ्रम पैदा करते आए हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोला कि ये लोग देश के भोले भाले लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं और देश के लोगों को इनसे बच के रहने की जरुरत है।
केन्द्र सरकार के सूत्रों ने बताया कि हिंदुस्तान के तमाम विपक्षी दलों ने टीकाकरण अभियान को हर संभव नुकसान पहुंचाने की प्रयास की। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों ने कोविड-19 वैक्सीन पर प्रश्न उठा कर और उसके बारे में लोगों मे भ्रम पैदा कर पूरी वैक्सीनेशन प्रक्रिया को भटकाने की प्रयास की। सूत्रों ने आरोप लगाया कि चाहे वो दवाओं की विश्वसनियता पर प्रश्न उठाने का समस्या हो या फिर वैक्सीन के राज्यों के बीच बंटवारे पर टकराव पैदा करना। विपक्षी पार्टियां लगातार पूरी देश के लिए टीकाकरण अभियान प्रारम्भ करने की मांग करते रहे। ये पार्टियां जानती थीं कि केंद्र सरकार ने एक साइंटिफिक ढंग से टीकाकरण की प्राथमिकताएं तय की थी।
टीकाकरण अभियान पर विपक्षी दलों का यू टर्न
केन्द्र सरकार के सूत्र बताते हैं कि जनवरी 16 को टीकाकरण अभियान की आरंभ के बाद से ही राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले टीकाकरण के विकेन्द्रीकरण की मांग रखी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे डीसेन्ट्रलाइज कर दिया गया तो ये सभी नेता यू टर्न लेते हुए इसको सेन्ट्रलाइज करने की मांग करने लगे। राहुल गांधी ने 9 अप्रैल को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को खत लिख कर मांग की कि प्रदेश सरकारों को टीकाकरण की प्रक्रिया में अधिक ताकत मिले ताकि वो टीका खरीद भी सकें और अपने हिसाब से इसका बंटवारा भी कर सकें। लेकिन ठीक एक महीने के बाद ही वो पलट गए और एक ट्वीट कर के बोला कि सरकार की टीकाकरण की नीति समस्या बढ़ा रही है। दवा केंद्र खरीदे और बंटवारा राज्यों के हाथ में जाए।
कांग्रेस क वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मांग की कि प्रदेश सरकारों को दवा कंपनियों से करार कर दवा लेने का अघिकार तुरंत दे देना चाहिए। लेकिन जब केद्र ने डीसेन्ट्रलाइज कर दिया, तब सोनिया गांधी ने बोला कि केंद्र अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। कांग्रेस पार्टी कार्यसमिति में टीके की बर्बादी पर कोई चर्ची नहीं हुए जबकि स्वास्थख्य मंत्रालय के आंकड़े लगातार बता रहे थे कि दवा की बर्वादी की ज्यादातर शिकायतें कांग्रेस पार्टी शासित राज्यों से आ रही थीं। ममता बनर्जी ने 24 फरवरी को पीएम को खत लिख कर बोला था कि वो सीधे राज्यों के पैसे से दवाएं खरीद सकतीं हैं। लेकिन उन्होने भी मई में यू टर्न लेते हुए बोला कि केंद्र स्वयं राज्यों के लिए सीधा दवा खरीदे। केन्द3 सरकार के सूत्रों के अनुसार अरविंद केजरीवाल भी आरोप लगने मे पीछे नहीं रहे। उन्होने मार्च में टीकाकरण के विकेन्द्रीकरण की मांग की ताकि जिन्हे वो जिन्हे टीका देना चाहते हैं उन्हें दे सकें। लेकिन मई में यू टर्न लेते हुए बोला कि केंद्र ही ये कार्य करे।
दवा की कमी और निर्यात पर प्रश्न उठाए गए
कांग्रेस ने पोस्टर तक लगवाए कि दवाएं निर्यात कर दी गयीं। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के पास आए आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस पार्टी शासित सरकारो ने कोविड-19 की दवाओं की न केवल बर्वादी की बल्कि उनका पूरा इस्तेमाल भी नहीं किया। कांग्रेस पार्टी का ये दोहरा मापदंड कोविड-19 के टीकाकरण की गति थामने में लगा था। दूसरी तरफ काग्रेस सांसद शशि थरुर ने हिंदुस्तान सरकार के दवा निर्यात को रोकने के निर्णय पर प्रश्न उठाते रहे और साथ ही वैक्सीन मैत्री मिशन की निंदा भी कर डाली। शशि थरुर और अभिषेक सिंगवी ने कोविड-19 टीका मार्केट में मौजूद कराने की मांग भी की। केरल के सीएम पी विजयन पहले ऐलान कर दिया कि वो प्रदेश में सभी को मुफ्ट वैक्सीन देंगे। लेकिन चंद रोज के बाद ही केंद्र से मांग की कि दवामुफ्त दवा के लिए पैसे की मांग करने लगे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी केरल सीएम
सभी वयस्क लोगों के टीकाकरण की मांग
तमाम विपक्षी नेता जानते थे कि दवा कि स्थिति क्या है और केंद्र सरकार ने किस आधार पर टीका करण की अहमियत तय की है। फिर भी उन्होने एक सुर से सबके टीकाकरण की मांग की और फिर दवाओं की कमी की कम्पलेन करने लगे। राहुल गांधी ने 7 अप्रैल को सबके टीकाकरण की मांग की। फिर 24 अप्रैल को देश में वैक्सीन की कमी की बात करने लगे। सोनिया गांधी ने दवा की कमी की बात की। साथ ही सोनि। गांधी ने केन्द3 सरकार को बोला कि वो वैक्सीन के लिए आयु सीमा 25 साल कर दे। प्रियंका गांधी ने दवा की कमी पर प्रश्न उठाए और जनता से सबके टीकाकरण के लिए आवाज उठआने की अपील भी की। ममता ने बंगाल विधानसभा चुनावों के दैरान सबको टीका देने की बात की जबकि वो जानती थीं की ददवा की सप्लाई की स्थिति क्या है।
केप्टन अमरिंदर सिंह ने भी आयु की सीमा घटाने की माग की। अशोक हगलोत ने भी 5 अप्रैल को केंद्र सरकार से आयु की सीमा को हटाने की अपील की। फिर 26 अरऐल को साव्स्थ्य मंत3लय से बोला कि प्रदेश में दवा की कमी है। जब केंद्र ने नद्धव ठाकरे को टीकाकरण की धीमे पड़ने के लिए खईंचा तो उद्धव ने पीएम क चिठ्टी लिख कर मांग की कि उन्हें 25 वर्ष से उपर के लोगों को टीकाकरण की इजाजत दी जाए। सूत्रों कहते हैं कि सबसे गलत दावे और आरोप लगाने का रिकार्ड तो अखिलेश यादव को जाता है जिन्हने बोला था कि वो भाजपा बैक्सिन का शाट नहीं लगवाएंगे।
केन्द्र सरकार के सूत्रों के अनुसार वो तमाम नेता जो पूरे देश के टीकाकरण की मांग कर रहे थे, उन्होने ही कोविड-19 के टीके पर प्रश्न उठाए और उस दवा के बारे में गलत अफवाहें भी फैलायीं। इसलिए आरंभ के दौर में हिंदुस्तान की जनता के बीच टीकाकरण को लेकर एक झिझक उठ खड़ी हुई थी। अब पीएम के पूरे देश के मुफ्त टीकाकरण के ऐलान के बाद सरकार के आशा है की गलतियां निकालने वालों की जुबान पर ताला लग जाएगा।