प्रदूषण की बढ़ती समस्या से दुनिया हलकान है। सिर्फ वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की असमय मौत हो जाती है। दुनिया के कीमती मानव संसाधन को बचाने के लिए 16 साल बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के मानकों में बदलाव किया है। नए मानकों के अनुसार दुनिया का कोई भी देश प्रदूषण के आदर्श पैमाने पर खरा नहीं उतरता। अपने नए दिशानिर्देश में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए और गंभीर होने को कहा है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को रोका जा सके।
भयावह
प्रदूषण दुनिया भर में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है।
प्रत्येक मिनट करीब 13 असामयिक मौतों के लिए जिम्मेदार।
गैसों और छोटे-छोटे कण फेफड़ों और यहां तक कि हमारे रक्त प्रवाह में समाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
नाइट्रोजन डाईआक्साइड गैसीय प्रदूषक
नाइट्रोजन डाईआक्साइड के गैसीय प्रदूषकों की सीमा 40 से घटाकर 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर करने की सिफारिश की गई।
नाइट्रोजन डाईआक्साइड वाहनों और बिजली संयंत्रों द्वारा जीवाश्म ईधन जलाने पर उत्पन्न होती है।
बड़ा खतरा
वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती है। हर उम्र के लोगों के अलगअ लग अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
बच्चों का जन्म के समय कम वजन होना, सांस की समस्याएं, हृदय रोग और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
ऐसे कम कर सकते हैं उत्सर्जन
डब्ल्यूएचओ ने देशों को ऊर्जा के स्वच्छ स्नोतो को अपनाने और जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल में कमी का सुझाव दिया।
यातायात से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रयोग का सुझाव।
वायु प्रदूषण कम होने से फायदा
पीएम 2.5 का स्तर पांच से कम करने पर स्वास्थ्य ढांचे से भार घटेगा
आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में हर साल स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले पांच लाख करोड़ डालर तक बच सकते हैं
वायु प्रदूषण कम होने से जलवायु परिवर्तन में सुधार होगा, क्योंकि वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग में भी जिम्मेदार है
प्रदूषण में कमी से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सुधार हो सकता है
पीएम 2.5 के मानकों में किए बदलाव
डब्ल्यूएचओ ने पीएम 2.5 का स्तर पांच माइक्रोग्राम कर दिया है। इससे पहले 10 माइक्रोग्राम का यह स्तर ठीक माना जाता था
नए मानकों के मुताबिक दुनिया भर में 90 फीसद लोग पीएम 2.5 के खतरनाक स्तर में रहते हैं
नए नियम के मुताबिक भारत का वार्षिक पीएम 2.5 का स्तर करीब 12 गुना तक ज्यादा है
डब्ल्यूएचओ के नए नियमों के मुताबिक दिल्ली का पीएम 2.5 अब 17 गुना ज्यादा है
नए मानकों के अनुसार दुनिया के सभी देश इसके स्तर से ऊपर हैं
अमेरिका का पीएम 2.5 का स्तर नए नियमों के मुताबिक 2.4 गुना तक ज्यादा है