चंडीगढ़। पहले एडवोकेट जनरल (AG) एपीएस देओल की जगह डीएस पटवालिया और फिर डीजीपी (DGP) इकबाल प्रीत सिंह सहोता को बदलवाकर अपनी पसंद के सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को डीजीपी लगवाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) उत्साह में हैं। अब उनका केवल एक ही निशाना है कि वह किसी तरह अपनेआप को मुख्यमंत्री के तौर पर उभारकर चुनाव अपने नाम लड़वाने को कांग्रेस को मजबूर करें। इसलिए वह अक्सर अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके कामकाज की भी आलोचना कर जाते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू जब भी किसी नई योजना का ऐलान करते हैं और उनसे पूछा जाता है कि वह इसे अभी क्यों नहीं लागू करवाते, सरकार तो उनकी ही है। इस पर वह यह कहकर टाल देते हैं कि पावर में उन्हें आने दें तब वह इसे लागू करवाएंगे। नवजोत सिद्धू का सारा प्रचार ही अपना पंजाब माडल को लागू करवाने को लेकर है। हालांकि वह इसका खुलासा नहीं कर रहे हैं कि यह पंजाब माडल क्या है और इसको पूरा करने का रोडमैप क्या होगा।
मसलन, शुक्रवार को उन्होंने मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने का ऐलान किया और कहा कि जब वह सत्ता में आएंगे तो उनकी प्राथमिकता मजदूर और किसान होंगे न कि गिने चुने हुए अमीर व्यक्ति, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अभी तो मैनिफेस्टो कमेटी ने इसे उसमें शामिल ही नहीं किया तो उन्होंने कहा, क्या प्रधान का कहना है काफी नहीं होता। अगर इसे शामिल न किया गया तो उन्हें और भी तरीके आते हैं।
यही नहीं, नवजोत सिंह सिद्धू दिग्गज मंत्रियों और नेताओं के इलाके में जाकर भी प्रत्याशियों की घोषणा करने लगे हैं। कादियां विधानसभा सीट से उन्होंने पूर्व पंजाब प्रधान प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेहजंग बाजवा को टिकट देने की घोषणा कर दी है। वहीं, प्रताप सिंह बाजवा ने भी कादियां से टिकट के लिए दावा किया हुआ है। सिद्धू ने सुल्तानपुर लोधी के विधायक नवतेज चीमा का भी समर्थन किया, जबकि इसी सीट पर मंत्री राणा गुरजीत सिंह सुल्तानपुर लोधी से अपने बेटे इंद्र प्रताप सिंह को उतारने चाहते हैं। इसके अलावा वह समय-समय पर मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करते रहे हैं।