अयोध्या का भव्य और दिव्य राम मंदिर, जो हिंदुस्तान के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक है, 22 जनवरी 2024 को उस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब रामलला ने अपने भव्य महल में प्रवेश किया। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पावन दिन पौष शुक्ल द्वादशी था, और अब एक साल पूरा होने पर, भारतवर्ष प्रथम प्राण प्रतिष्ठा उत्सव इंकार रहा है।
भोपाल में उत्सव का जोश
राजधानी भोपाल में प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के अनुसार 10 जनवरी से ही उल्लास का माहौल है। शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। 5100 दीप जलाकर ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ की पूर्व संध्या पर उत्सव की आरंभ हुई।
भोपालवासी इस ऐतिहासिक पल को विशेष मानते हैं। क्षेत्रीय निवासी अनुराग पांडे ने Local18 से बात करते हुए बोला कि रामलला के वनवास का अंत और उनका अपने महल में विराजमान होना एक अद्वितीय क्षण है। यह सिर्फ़ राम भक्तों के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है। अब अगले 50 सालों तक इस महोत्सव को हर वर्ष भव्यता से मनाया जाएगा।
500 सालों का वनवास और अब उत्सव का दौर
रामलला ने 500 सालों तक मंदिर निर्माण के संघर्ष और प्रतीक्षा को सहा। यह संघर्ष हर भारतीय के दिल में विशेष जगह रखता है। 2024 में रामलला के मंदिर में प्रवेश ने इस प्रतीक्षा का अंत किया। अब, हर वर्ष इस ऐतिहासिक दिन को मनाकर उस संघर्ष और विजय का उत्सव मनाया जाएगा।
दीप जलाने की अपील
भोपालवासियों ने इस अवसर पर एक विशेष अपील की है। वे कहते हैं कि हर घर में 5 दीपक जलाकर इस ऐतिहासिक दिन को विजय दिवस की तरह मनाना चाहिए। यह दीप सिर्फ़ श्रद्धा का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह रामलला की घर वापसी और धर्म की विजय का संदेश देते हैं।
मंदिरों में पूजा-अर्चना का उत्साह
भोपाल के विभिन्न मंदिरों में राम भक्तों की भीड़ उमड़ी। लोग भगवान राम की विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं। धार्मिक गीत, आरती, और भजन के बीच पूरे शहर में उत्सव का माहौल है।
भारत के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक
राम मंदिर अब सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल नहीं है; यह हिंदुस्तान के गौरव, संस्कृति और संयम का प्रतीक बन चुका है। इस प्राण प्रतिष्ठा उत्सव ने भक्तों के दिल में रामलला के प्रति प्रेम और आस्था को और गहरा कर दिया है।