कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने लाने के लिए फिर से नोटिस दे सकता है. राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने गुरुवार को धनखड़ को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग नोटिस को खारिज कर दिया. उन्होंने इसे उपराष्ट्रपति की छवि को धूमिल करने के लिए जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया. कांग्रेस पार्टी नेता जयराम रमेश ने इस प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से बात की. उन्होंने बोला कि यह सिर्फ़ एक ट्रेलर था.
जयराम रमेश ने द प्रतिक्रिया
मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा, “सभापति के विरुद्ध हमारे द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. आप कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं, इसकी संविधान में कोई सीमा नहीं रखी गई है. 30 जनवरी से बजट सत्र प्रारम्भ होगा. हम देखेंगे.”
कांग्रेस नेता से जब यह पूछा गया कि क्या विपक्ष एक बार फिर सभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, तब उन्होंने कहा, “बिलकुल.” उन्होंने आगे कहा, “यह हमारा पहला कदम था. जहां तक अविश्वास प्रस्ताव की बात है, यह तो बस एक ट्रेलर है.” राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी द्वारा सदन में पेश किए गए अपने तीन पन्नों के निर्णय में उपसभापति ने बोला कि यह महाभियोग नोटिस राष्ट्र की कानूनी संस्थाओं और उपराष्ट्रपति को बदनाम करने की षड्यंत्र का हिस्सा था.
विपक्ष के सदस्यों ने की धनखड़ को हटाने की मांग
बता दें कि 10 दिसंबर को धनखड़ को हटाने की मांग करते हुए विपक्ष के 60 सदस्यों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किया था. उन्होंने बोला था कि उन्हें धनखड़ पर भरोसा नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति पर पक्षपात करने का इल्जाम लगाया था. यह नोटिस विपक्षी सदस्यों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के अनुसार हिंदुस्तान के उपराष्ट्रपति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के इरादे से पेश किया गया था.
नोटिस राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया था. राष्ट्र में 72 वर्ष के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में राज्यसभा सभापति के विरुद्ध कभी महाभियोग नहीं आया था. राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस दिया जाना महत्वपूर्ण होता है, जबकि संसद का शीतकालीन सत्र ही 20 दिसंबर तक चलना है.