रूस की सेना में सेवा दे रहे लगभग 70 हिंदुस्तानियों की रिहाई को लेकर अब भी प्रक्रिया रुकी हुई है. इसके पीछे कॉन्ट्रैक्ट को वजह कहा जा रहा है. दरअसल रूसी ऑफिसरों ने उनके मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द नहीं किया है. मुद्दे से जुड़े लोगों ने शनिवार को यह जानकारी दी. यूक्रेन के साथ युद्ध में लड़ते हुए कम से कम 9 हिंदुस्तानियों की मृत्यु हो चुकी है. इसके बाद, रूसी सैन्य इकाइयों में सपोर्ट स्टाफ के रूप में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की रिहाई और उन्हें हिंदुस्तान भेजने का मामला संवेदनशील बन गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले को जुलाई में मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उठाया था. तब से यह मुद्दा नयी दिल्ली और मॉस्को के बीच राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाया गया है. सूत्रों ने कहा कि 70 हिंदुस्तानियों की रिहाई में देरी का मुख्य कारण यह है कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक उनके मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए हैं. भारतीय गवर्नमेंट इस मामले पर लगातार रूसी ऑफिसरों के संपर्क में है और इस परेशानी के निवारण की प्रयास की जा रही है.
सूत्रों ने कहा कि “रूसी रक्षा मंत्रालय को एक अधिनियम जारी करना होगा जिससे इन कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द किया जा सके, और अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.” एक अन्य सूत्र ने कहा कि रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से देरी का कारण यह हो सकता है कि अन्य राष्ट्रों के नागरिकों द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंधों पर इस तरह के रद्दीकरण का क्या असर पड़ेगा, इसे लेकर आशंकाएं हैं. हाल के हफ्तों में गवर्नमेंट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 91 हिंदुस्तानियों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था और उनमें से 15 को रिहा कर हिंदुस्तान वापस भेज दिया गया है. वर्तमान में 68 भारतीय रूसी सेना से रिहाई का प्रतीक्षा कर रहे हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 9 अगस्त को लोकसभा में बोलते हुए कॉन्ट्रैक्ट की परेशानी का संकेत दिया था. उन्होंने कहा, “समस्या यह है कि रूसी ऑफिसरों का मानना है कि इन भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना के साथ सेवा के लिए अनुबंध किया था. हम महत्वपूर्ण नहीं कि इस बात से सहमत हों.” जयशंकर ने बोला कि भारतीय पक्ष इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेता है और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को पुतिन से आश्वासन मिला है कि रूसी सेना की सेवा में शामिल किसी भी भारतीय नागरिक को बर्खास्त कर दिया जाएगा.
संसद में जयशंकर के बयान के एक दिन बाद, नयी दिल्ली में रूसी दूतावास ने बोला कि इस वर्ष अप्रैल में रूसी सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों की भर्ती रोक दी गई और अधिकारी उन हिंदुस्तानियों की जल्द से जल्द छुट्टी के लिए काम कर रहे हैं. रूस ने बोला कि उन्होंने “स्वेच्छा से सैन्य सेवा के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था”. दूतावास ने मृतकों के परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की और बोला कि सभी संविदात्मक दायित्व और मुआवजा भुगतान “पूरी तरह से पूरा किया जाएगा”.
भारतीय पक्ष ने भी यह बोला है कि रूसी सेना में भर्ती किए गए कई हिंदुस्तानियों को बेईमान भर्ती एजेंटों द्वारा “गुमराह” किया गया या विश्वासघात दिया गया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हिंदुस्तानियों की भर्ती में उनकी कथित किरदार के लिए 19 व्यक्तियों और संस्थाओं के विरुद्ध आपराधिक मुद्दा दर्ज किया है और कई गिरफ्तारियां की हैं.