प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बुलावे पर उनके आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुए। पीएम ने अपने ट्विटर हैंडल से सीजेआई के साथ फोटोज़ साझा की और लिखा, ‘चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान गणेश हम सबको सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करें…’ पीएम के सीजेआई (CJI DY Chandrachud) के निजी कार्यक्रम में शामिल होने राजनीतिक घमासान मच गया। विपक्ष इसे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर धावा बता रहा है। वकीलों का एक गुट भी हमलावर है।
राजगोपालाचारी को न्यायधीश की पार्टी में बुलाया तो भड़क गए
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कोई नेता या न्यायधीश किसी प्राइवेट कार्यक्रम में शामिल हुए हों। खासकर जजों के प्राइवेट पार्टी में शामिल होने को लेकर तो उच्चतम न्यायालय में लंबे समय से बहस चलती आ रही है। आरंभ आजादी के 2 वर्ष बाद फरवरी 1949 में हो गई थी। गवर्नर जनरल सी। राजगोपालाचारी को फेडरल न्यायालय के एमसी महाजन के सम्मान में आयोजित एक पार्टी में इनवाइट किया गया। यह पार्टी दिल्ली के रोशनआरा क्लब में रखी गई थी। राजगोपालाचारी इस न्योते से बहुत नाराज हुए। उन्होंने गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को चिट्ठी लिखी और कहा, ‘मुझे इस ढंग से जजों, सरकारी अफसरों आदि के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा आयोजित पार्टी कतई पसंद नहीं है…’
बॉम्बे उच्च न्यायालय के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन से प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘सुप्रीम व्हिसपर्स’ (Supreme Whispers) में लिखते हैं कि वल्लभभाई पटेल ने तत्कालीन CJI हरिलाल जे। कानिया से बात की और महाजन को भी राजगोपालाचारी की राय से अवगत कराया। आखिर में पटेल ने राजाजी को चिट्ठी लिखी और कर कहा, ‘संभावना है कि अब वो कार्यक्रम रद्द कर दिया जाए…’ हालांकि बाद में जब वर्ष 1954 में जस्टिस महाजन रिटायर हुए तो उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि उनके सम्मान में बार और स्टाफ ने गार्डन पार्टी आयोजित की थी।
CJI पर बरस पड़े थे अटॉर्नी जनरल
भारत के पहले अटॉर्नी जनरल (AG) एम।सी सीतलवाड़ (Motilal Chimanlal Setalvad) तो प्राइवेट पार्टियों को लेकर तमाम मौके पूर्व सीजेई पीबी गजेंद्रगाडकर को घेरते रहे। वर्ष 1966 में जब गजेंद्रगाडकर रिटायर हुए तो वकीलों ने उनके लिए एक भोज रखा और उन्हें आमंत्रित किया। अटॉर्नी जनरल सीतलवाड़ ने इसे डेकोरम के विरुद्ध बताकर तीखा विरोध किया। अभिनव चंद्रचूड़ (Abhinav Chandrachud) लिखते हैं कि जजों को प्राइवेट पार्टी में बुलाने या नेताओं के जजों की पार्टी में जाने का सिलसिला केवल दिल्ली या मुंबई तक सीमित नहीं था।
चीफ जस्टिस ने अस्वीकार कर दिया सीएम का न्योता
साल 1992 में जब लीला सेठ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुईं तो राज्य के तत्कालीन सीएम ने उनके लिए फेयरवेल डिनर का आयोजन किया। उच्च न्यायालय की पहली चीफ जस्टिस रहीं लीला सेठ (Leila Seth) स्वयं मानती थीं कि डिनर में शामिल होने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन उनके साथी जजों ने कड़ी विरोध जताई और उन्हें इनविटेशन एक्सेप्ट करने से इंकार किया। विवश होकर लीला सेठ को मुख्यमंत्री का न्योता ठुकराना पड़ा।
बेटे की विवाह में राष्ट्रपति को नहीं बुला पाए जज
पूर्व सीजेआई एम हिदायतुल्ला तो निजी कार्यक्रमों में नेताओं को बुलाने के कतई विरुद्ध थे। अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि जब जस्टिस ग्रोवर के बेटी की विवाह हो रही थी तो वह राष्ट्रपति वीवी गिरी और उपराष्ट्रपति जी।एस। पाठक को आमंत्रित करना चाहते थे। दोनों जस्टिस ग्रोवर के अच्छे दोस्त भी थे। जब सीजेआई एम हिदायतुल्ला को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया और बोला कि इससे अच्छा मैसेज नहीं दिया जाएगा। आखिरकार जस्टिस महाजन को झुकना पड़ा और दोस्त होते हुए भी उन्होंने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को इनवाइट नहीं किया।