लेटरल एंट्री को लेकर मचे राजनीतिक बवाल के बीच चिराग पासवान को अब जनता दल यूनाइटेड का साथ मिला है.जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह ने लेटरल एंट्री पर असहमति जताई है.उन्होंने बोला कि लेटरल एंट्री यदि केंद्र गवर्नमेंट जमीन पर उतारना चाहती है, तो इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षण के प्रावधानों पर किसी भी प्रकार की आंच ना आए, लेकिन यदि ऐसा होता है, तो इस अवधारणा को जमीन पर उतारने से बचना चाहिए.उन्होंने आईएएनएस से खास वार्ता में कहा, “निसंदेह लेटरल एंट्री का उद्देश्य बेहतर है, जो लोग भी सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों में उत्कृष्ट सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें भी केंद्र गवर्नमेंट में अपनी सेवाएं देने का मौका लेटरल एंट्री के जरिए मिल सकता है, लेकिन संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा को ध्यान में रखते हुए यह लाया जा रहा है, तो मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि लेटरल एंट्री में भी आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए.”वहीं, जब उनसे इस पर जदयू के रुख के बारे में प्रश्न किया गया, तो उन्होंने दो टूक कहा, “हम लोग इस पर पहले से ही अपनी असहमति जता चुके हैं. हमें पूरा विश्वास है कि केंद्र गवर्नमेंट हमारी आपत्तियों को जरूर ध्यान में रखेगी.”
उल्लेखनीय है कि लोक जन शक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को आईएएनएस से वार्ता के दौरान बोला कि हमारी पार्टी लेटरल एंट्री का विरोध करती है. उन्होंने बोला था कि मैं स्वयं इसे निजी तौर पर केंद्र गवर्नमेंट के समक्ष उठाऊंगा और गवर्नमेंट से इस पर विचार करने की मांग करूंगा.
लेटरल एंट्री बिना यूपीएससी परीक्षा के विभिन्न सरकारी मंत्रालय में सीधे सचिव और उपसचिव जैसे पदों पर पदस्थ होने का मौका अभ्यर्थियों को देता है. इसे लेकर टकराव गहराया हुआ है. आलोचकों का बोलना है कि इससे आरक्षण के हितों पर कुठाराघात पहुंचेगा, तो वहीं दूसरे पक्ष का बोलना है कि यदि इस अवधारणा को हम जमीन पर उतारना चाहते है, तो इसके लिए हमें लेटरल एंट्री में भी आरक्षण की प्रबंध करनी होगी, ताकि दलित, ओबीसी और आदिवासी समुदाय के लोगों के हितों पर प्रहार न हो.