नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। हाल ही में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। उनकी जीत के साथ ही अमेरिका जाने का सपना पालने वाले भारतीयों को यह सवाल उलझा रहा है कि क्या ट्रंप अमेरिका जाने की राह में आड़े आएंगे या उनकी मुश्किल आसान करेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप का प्रवासियों को लेकर सख्त रुख सबको टेंशन में डाल रहा है। यह सवाल सबको टेंशन दे रहा है कि क्या अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करना भारतीयों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा? RAISE अधिनियम, 2017 से क्या होगा? ये दोनों ही बातें अब 20 जनवरी को ट्रंप के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद ही क्लियर होंगी। मगर, उससे पहले समझते हैं पूरी बात।डोनाल्ड ट्रंप ने प्रवासियों को लेकर क्या दिया है संकेत ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान ग्रीन कार्ड पर अलग-अलग रुख जताया था।
जून, 2024 में उन्होंने कहा था कि अमेरिका के भीतर कुशल प्रतिभा को बनाए रखने के लिए जूनियर कॉलेजों सहित अमेरिकी कॉलेजों से स्नातक होने वाले विदेशी छात्रों को ग्रीन कार्ड दिया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया था कि इन स्नातकों को अमेरिका में रहने और काम करने के लिए ऑटोमेटिक ग्रीन कार्ड मिलना चाहिए। ग्रीन कार्ड से अमेरिका में क्या मिलती है सुविधा: ग्रीन कार्ड धारक को अमेरिका में प्रवेश करने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है। ग्रीन कार्ड धारक को देश के अंदर-बाहर स्वतंत्र रूप से यात्रा करने और सामाजिक सुरक्षा, मेडिकेयर और मेडिकेड जैसे ज्यादातर सरकारी लाभों का लाभ उठाने की अनुमति होती है। ग्रीन कार्ड धारक को एक तय समय (आम तौर पर 3-5 साल) के बाद अमेरिकी नागरिकता पाने का रास्ता भी मिलता है। अमेरिका में आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड या फॉर्म I-551 को ही ग्रीन कार्ड कहा जाता है। यह कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो अमेरिकी नागरिक नहीं है। हालांकि, यह कार्ड किसी भी विदेशी को अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति देता है। ग्रीन कार्ड होल्डर्स को अमेरिकी नागरिक के समान लगभग सभी अधिकार मिलते हैं। माता पिता के अस्थायी, गैर आव्रजक वीजा पर आश्रित के रूप में अमेरिका में रह रहे लोगों को डाक्यूमेंटेड ड्रीमर्स कहा जाता है। इसे कामगार वीजा भी कहा जाता है। अगर ये आश्रित 21 वर्ष की उम्र तक ग्रीन कार्ड हासिल नहीं कर पाते हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ता है। भारत की बड़ी आबादी के लिए 7 फीसदी कोटा कमअमेरिकी कानून के अनुसार, रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड जारी किए जाने की सालाना लिमिट 1,40,000 है। इसके अलावा, हर देश के लिए 7 फीसदी ही कोटा है। इसका खामियाजा भारत-चीन जैसे ज्यादा आबादी वाले देशों के हाई स्किल्ड युवाओं को भुगतना पड़ता है, क्योंकि यहां के लोग अमेरिका जाकर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। यही कोटा भारतीयों को टेंशन दे रहा है।