Wah Ustad Zakir Hussain: रागों की ताल और लय के साथ तबले पर कभी थिरकती, कभी तैरती और कभी उड़ती हुई जाकिर हुसैन की उंगलियां संगीत का एक जादू सा पैदा करती थीं. वह सिर्फ़ तबला वादक ही नहीं, तालवादक, संगीतकार और यहां तक कि अदाकार भी थे. वह एक किंवदंती थे जो हिंदुस्तान के तो अपने थे ही, लेकिन पूरी दुनिया के भी थे.
हुसैन का फेफड़े से संबंधी ‘‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस” रोग के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में मृत्यु हो गया. वह 73 साल के थे. हिंदुस्तान और विदेश में जाना-माना नाम हुसैन अपने पीछे 60 वर्ष से अधिक का संगीत अनुभव छोड़ गए हैं. उन्होंने कुछ महानतम भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संगीतकारों के साथ मंच पर तबला बजाया तथा भारतीय शास्त्रीय एवं विश्व संगीत का ‘फ्यूजन’ रचा, जिससे तबले को एक नई पहचान मिली.
महान तालवादक ने विभिन्न विधाओं और शैलियों में संगीत की रचना की. उनके प्रदर्शनों की सूची में ‘जैज’ और ‘कंसर्ट’ भी शामिल हैं. अपने पिता एवं मशहूर तबला वादक अल्ला रक्खा के संरक्षण में तबला सीखने और बजाने के बाद स्वाभाविक रूप से उनमें ‘‘सर्व-समावेशी संगीत रचनात्मकता” का विकास हुआ.
एक कार्यक्रम में कही थी ये बात
हुसैन ने लगभग एक साल पहले गोवा में एक कार्यक्रम से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से बोला था, ‘‘जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा था, मेरी सोच इस विचार के अनुकूल होती गई कि संगीत केवल संगीत है, यह न तो भारतीय संगीत नहीं है, न कोई और संगीत. इसलिए जब मैंने गैर-भारतीय संगीतकारों के साथ काम करना प्रारम्भ किया तो यह एक स्वाभाविक सामंजस्य जैसा लगा.”
1970 में अमेरिका चले गए
अपने समय के महानतम तबला वादकों में से एक अल्ला रक्खा के पुत्र के रूप में हुसैन संगीत के लिए जन्मे थे. उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संगीत की आरंभ कर दी थी. इस प्रतिभाशाली बालक ने सात वर्ष की उम्र में अपना पहला संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया और 12 वर्ष की उम्र में ही संगीत कार्यक्रम करने लगे. मुंबई में जन्मे हुसैन अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1970 में अमेरिका चले गए.
तीन ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले हिंदुस्तान के पहले संगीतकार
जब बात उनके संगीत की आती थी तो सीमाएं अर्थ नहीं रखती थीं. फरवरी में, हुसैन 66वें वार्षिक ग्रैमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम, सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन और सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम के लिए तीन ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले हिंदुस्तान के पहले संगीतकार बने. हुसैन ने 2024 के ग्रैमी में ‘फ्यूजन म्युजिक ग्रुप’ ‘शक्ति’ के अनुसार ‘‘दिस मोमेंट” के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम का अपना पहला खिताब हासिल किया, जिसमें संस्थापक सदस्य ब्रिटिश गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, साथ ही गायक शंकर महादेवन, वायलिन वादक गणेश राजगोपालन और तालवादक सेल्वागणेश विनायकराम शामिल हैं.
‘‘पश्तो” के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन
बाद में उन्होंने बांसुरी वादक राकेश चौरसिया, अमेरिकी बैंजो वादक बेला फ्लेक और अमेरिकी बास वादक एडगर मेयर के साथ ‘‘पश्तो” के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन और ‘‘एज वी स्पीक” के लिए सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम के लिए दो अन्य पुरस्कार जीते. पिछले साल जनवरी में विश्व भ्रमण के अनुसार हिंदुस्तान आए ‘शक्ति’ के कलाकार एक बार फिर जुटे. इस कार्यक्रम को लेकर प्रशंसकों में काफी उत्साह देखा गया.
‘शक्ति’ के अलावा, हुसैन ने कई अभूतपूर्व कार्यक्रमों में भी सहयोग दिया, जिनमें ‘मास्टर्स ऑफ पर्क्यूशन’, ‘प्लैनेट ड्रम’ ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट विथ मिकी हार्ट’, ‘तबला बीट साइंस’ ‘संगम विथ चार्ल्स लॉयड’ और ‘एरिक हारलैंड’ और हाल में हर्बी हैनकॉक के साथ कार्यक्रम शामिल हैं.