Rupee Vs Dollar : लर के मुकाबले भारतीय रुपये में चल रहा गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक दिन पहले शुक्रवार को रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। यह $ के मुकाबले 85.26 से गिरकर 85.53 पर बंद हुआ। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार के दौरान यह कुछ समय के लिए गिरकर 85.80 के इंट्राडे लो तक चला गया। यह पिछले करीब दो वर्ष में रुपये की सबसे तेज गिरावट है। जानकारों का बोलना है महीने के अंत में बैंकों और आयातकों की तरफ से $ की मांग बढ़ने से रुपये पर दबाव बढ़ा है।
85.80 के ऑल टाइम लो पर पहुंचा रुपया
डॉलर के मजबूत रुख से रुपया नीचे आया है। इसके अतिरिक्त फॉरेन एक्सचेंज की निकासी जारी रहने और क्रूड ऑयल की मूल्य बढ़ने से भी रुपये पर दबाव पड़ा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया शुक्रवार को 85.31 के रेट पर गिरकर खुला और एक समय 53 पैसे गिरकर 85.80 के ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। हालांकि बाद में यह थोड़ा संभला और आखिर में रुपया $ के मुकाबले 85.53 पर बंद हुआ। एक दिन पहले गुरुवार को रुपया 85.27 प्रति $ पर बंद हुआ था।
दो वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट
रुपये में इससे पहले एक व्यवसायी सत्र के दौरान 68 पैसे की सबसे बड़ी गिरावट 2 फरवरी, 2023 को आई थी। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट अजीत मिश्रा ने बोला कि अमेरिकी बॉन्ड रिवॉर्ड बढ़ने से $ का आकर्षण बढ़ा है। इसके फलस्वरूप रुपये में गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अपना इनवेस्टमेंट भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। इसका भी रुपये पर दबाव पड़ा है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी $ के मुकाबले रुपया करीब प्रत्येक दिन नए निचले लेवल को छू रहा है।
एक्सपर्ट की राय
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबारी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के पास दिसंबर और जनवरी में मैच्योर होने वाले वायदा अनुबंधों में 21 अरब $ हैं। बाजार की अटकलों से पता चलता है कि आरबीआई ने इन मैच्योर कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाने से परहेज किया है, जिससे $ की कमी और रुपये की ज्यादा सप्लाई हो रही है। मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने बोला महीने के अंत में आयातकों की तरफ से $ की मांग और एफआईआई (FII) की तरफ से निकासी किए जाने से रुपया रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच गया है। चौधरी ने कहा, ‘अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और क्रूड ऑयल की मूल्य बढ़ने से भी रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। अमेरिकी $ और रुपये का हाजिर रेट 85.30 रुपये से 85.85 रुपये के बीच रहने का अनुमान है।‘
डॉलर इंडेक्स फ्यूचर्स बढ़कर 107.94 पर पहुंचा
दूसरी तरफ दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले $ की मजबूती को आंकने वाला $ इंडेक्स फ्यूचर्स 0.04 फीसदी बढ़कर 107.94 पर कारोबार कर रहा था। 10 वर्ष के बॉन्ड का रिवॉर्ड 0.76 फीसदी बढ़कर सात महीने के रिकॉर्ड हाई लेवल 4.61 फीसदी पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने गुरुवार को 2,376.67 करोड़ के शेयरों की बिकवाली की।
क्यों गिर रहा रुपया?
अमेरिकी $ की मजबूती से रुपये में गिरावट आती है। $ के मजबूत होने से अन्य मुद्राएं जिसमें रुपया भी शामिल है, कमजोर हो जाती हैं। यह अक्सर अमेरिकी फेड रिजर्व की तरफ से ब्याज रेट में वृद्धि या अन्य नीतिगत परिवर्तन के कारण होता है। क्रूड ऑयल की मूल्य बढ़ने से रुपये कमजोर होता है। हिंदुस्तान एक बड़ा ऑयल आयातक राष्ट्र है, जब क्रूड की कीमतें बढ़ती हैं तो हमें ऑयल खरीदने के लिए ज्यादा $ का भुगतान करना होता है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ता है। इसके अतिरिक्त विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकालते हैं तो वे रुपये को $ में बदलते हैं। इससे रुपये की मांग कम हो जाती है और इसका मूल्य गिर जाता है।