पिछले कुछ हफ्ते में तेजी से लोकप्रिय हुए चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्लेटफॉर्म DeepSeek की भारतीय सर्वर्स पर होस्टिंग की जाएगी. इनफॉर्मेशन एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने कहा कि इससे विदेश में डेटा ट्रांसफर को लेकर प्राइवेसी से जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा सकेगा.
DeepSeek ने AI के सेगमेंट में बड़ा परिवर्तन किया है. इसकी बढ़ती लोकप्रियता से कई बड़े राष्ट्रों में टेक कंपनियों के शेयर्स में भारी बिकवाली हुई थी. विदेश में डेटा ट्रांसफर को लेकर हिंदुस्तान में सतर्कता बरती जाती है. केंद्र गवर्नमेंट ने डेटा की लोकल स्टोरेज के लिए रूल्स भी जारी किए हैं. Vaishnaw ने बोला कि राष्ट्र में अगले दो-तीन सालों में डेटा सेंटर्स और हायपरस्केलर्स में लगभग 30 अरब $ का इनवेस्टमेंट किया जाएगा. उन्होंने कहा कि India AI मिशन ने GPU के शुरुआती लक्ष्य को पार कर लिया है. राष्ट्र में रिसर्चर्स, कारोबारों और स्टार्टअप्स के लिए लगभग 18,693 GPU मौजूद हैं. यह विभिन्न AI प्रोजेक्ट्स के लिए जरूरी रिसोर्स होगा.
ChatGPT और DeepSeek जैसे AI मॉडल्स को ट्रेनिंग देने के लिए क्रमशः 2,000 GPU और 25,000 GPU का इस्तेमाल किया गया है. इस हफ्ते की आरंभ में अमेरिका के प्रेसिडेंट Donald Trump ने बोला था कि चीन के AI से जुड़े ऐप DeepSeek की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता दंग करने वाली है. उनका बोलना था कि AI को डिवेलप कर रही अमेरिकी कंपनियों को आगे निकलने के लिए कॉम्पिटिशन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. DeepSeek ने कहा है कि उसके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल्स ChatGPT और Google के Gemini के समान हैं लेकिन इसकी कॉस्ट बहुत कम है.
ट्रंप ने DeepSeek को पॉजिटिव डिवेलपमेंट कहा क्योंकि यह सस्ता है. उन्होंने बोला था, “पिछले कुछ दिनों से मैं चीन की कुछ कंपनियों से जुड़ी जानकारी पढ़ रहा हूं. इनमें एक ने विशेषतौर पर AI का तेज तरीका पेश किया है और यह बहुत कम खर्च वाला है. यह अच्छा है क्योंकि आपको अधिक खर्च नहीं करना पड़ेगा. मैं इसे एक एसेट के तौर पर पॉजिटिव डिवेलपमेंट देखता हूं.” ट्रंप का बोलना था, “मुझे वास्तव में लगता है कि यदि यह सच है और तो यह पॉजिटिव डिवेलपमेंट है. आपको अधिक खर्च नहीं करना पड़ेगा और आपको समान परिणाम मिलेगा.” उन्होंने अमेरिकी टेक कंपनियों को सावधान रहने की राय दी है.