पाकिस्तान को चीन से यारी अब महंगी पड़ती नजर आ रही है। चीन के सहयोग से पाकिस्तान में विकसित जेएफ-17 थंडर (JF-17 Thunder) युद्धक विमान अब उसके लिए बोझ बन गया है। पाक को पहले यह उम्मीद थी कि उसके आका के सहयोग से निर्मित इस विमान को भारत की वायुसेना के मुकाबले तैनात किया जाएगा। पाकिस्तान और चीन ने 1999 में एक समझौता करते हुए जेएफ-17 विमान की परियोजना शुरू की थी।
इस योजना का मकसद इन विमानों का बेड़ा भारत खिलाफ लड़ने के लिये तैयार करना था। इन युद्धक विमानों के भारत से मुकाबले का मौका आया 27 फरवरी, 2019 में, जब भारत ने पाकिस्तान के आंतकवादी ठिकानों पर हमला किया और उस समय भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 के मुकाबले ये विमान कहीं भी नहीं ठहरे। भारतीय विमानों के सामने ये विमान भागते नजर आए। इन विमानों की पाकिस्तान पर संकट के समय उपयोगिता जरा भी सिद्ध नहीं हो सकी।
युद्ध के समय सेवाओं के मामले में सबसे पीछे रहने वाले विमानों के रखरखाव और ऑपरेशनों पर भी ज्यादा खर्च आ रहा है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आधुनिक हथियार प्रणालियों की तुलना में इन विमानों के रखरखाव पर ज्यादा लागत आ रही है। ऐसी स्थिति में पाक और चीन की संयुक्त रूप से बनाई गई यह योजना पाकिस्तान के लिए अच्छा-खासा परेशानी और खर्चे वाली बन गई है।
इसकी तकनीक को उन्नत करने के लिए चीन ने पुर्जे देने की कीमत भी बढ़ा दी है। पेंटापोस्टाग्मा (Pentapostagma) की एक रिपोर्ट के मुताबिक विमान की क्षमता का आकलन एविओनिक्स, हथियारों और इंजन से किया जाता है। पाया गया है कि जेएफ -17 ज्यादातर क्षेत्रों में निशाना बनाने में विफल रहता है। यही नहीं इन विमानों में प्रभावी बीवीआर या एयरबोर्न इंटरसेप्शन रडार भी नहीं है। पाकिस्तान ने इन विमानों को F-16 के बाद घातक विमान माना था…