अमेरिका और ईरान के बीच संबंधों के सामान्य होने की शुरूआत के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने कहा है कि वह ईरान और विश्व की अन्य ताकतों के साथ 2015 के परमाणु समझौते पर वापस लौटने संबंध में वार्ता को तैयार है। इधर ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जरीफ ने कहा है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम के संबंध में सभी निर्णयों को वापस लेने को तैयार है, यदि अमेरिका उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस ले लेता है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को 2018 में वापस कर लिया था। ट्रंप ने कहा था कि इससे ईरान के लिए परमाणु हथियार तैयार करने का रास्ता तैयार हो जाएगा। इस समझौते के तहत ही ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को 2025 तक बहुत ही सीमित किए जाने का वादा किया था। जो बाइडन और उनके सलाहकारों ने कहा था कि वह समझौते पर वापस लौटने को तैयार हैं, यदि ईरान समझौते की सभी शर्तो का पालन करता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अमेरिका यूरोपियन यूनियन के उच्च प्रतिनिधि के निमंत्रण पर पी5+1 और ईरान के साथ परमाणु समझौते के संबंध में होने वाली बैठक में शामिल होगा। पी5+1 का आशय सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई प्रतिनिधि चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। प्लस 1 में जर्मनी को शामिल किया गया है। जर्मनी 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के समझौता करने के दौरान शामिल था। अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने इस घोषणा से पहले समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले तीन यूरोपीय देशों (ई-3) के अपने समकक्षों के साथ बात की है।
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडन इस मसले को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए सभी संबंधित पक्षों से कूटनीतिक स्तर पर बात की जा रही है। अमेरिका चाहता है कि समझौते पर वापस लौटा जाए और यह समझौता लंबे समय तक चले और सभी पक्ष इस समझौते पर कायम हों। समझौते में शामिल यूरोपीय देशों ने अमेरिका की इस घोषणा का स्वागत किया है। 2015 के समझौते के तहत ही ईरान ने अपने यहां अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को परमाणु कार्यक्रमों के निरीक्षण की अनुमति दी हुई है।