अमेरिका ने चीन-पाकिस्तान और रूस, सऊदी अरब पर एक साथ ऐसा हंटर चलाया है कि चारों राष्ट्र कराह उठे हैं. दरअसल अमेरिका ने इन चारों राष्ट्रों को धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया है. इससे चारों राष्ट्रों की सांसें फूलने लगी है. अमेरिका के इस कदम से चारों राष्ट्रों में हलचल मच गई है. अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का दोषी ठहराने के बाद इन राष्ट्रों को सीपीसी में लिस्ट कर दिया है. इसमें विशेष चिंता वाले राष्ट्र आते हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पाकिस्तान, चीन, रूस और सऊदी अरब को धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया है और उन्हें ‘विशेष चिंता वाले देश’ (सीपीसी) के रूप में लेबल किया है. शुक्रवार को ब्लिंकन ने घोषणा की कि वह चीन, पाक और रूस सऊदी अरब के साथ सात अन्य को ‘धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष रूप से गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने के लिए नामित कर रहा है.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (आईआरएफए) के अनुसार उन राष्ट्रों को बाहर किया, जिनके लिए गवर्नमेंट को समय-समय पर पदनाम सौंपने की जरूरत होती है.
अब इन राष्ट्रों को होगी यह मुश्किल
सीपीसी के रूप में नामित किए जाने के बाद पाकिस्तान, चीन, रूस और सऊदी अरब को आधिकारिक यात्राओं और सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक आदान-प्रदान को रद्द करने, सहायता के निलंबन, आयात और निर्यात समझौतों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कई दंडों को झेलना होगा. साथ ही इन राष्ट्रों की अमेरिका अब विशेष नज़र भी करेगा. ब्लिंकन ने सभी राष्ट्रों को एक सामान्य चेतावनी जारी की है कि उनकी नज़र की जाएगी और सूची में नहीं होने वालों के साथ भी चिंता जताई जाएगी. उन्होंने कहा, “हम पूरे विश्व के हर राष्ट्र में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक नज़र करना जारी रखेंगे और धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत करेंगे.”
इन राष्ट्रों पर भी अमेरिका ने कसा शिकंजा
ब्लिंकन ने आगे कहा, “हम नियमित रूप से धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर सीमाओं के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में राष्ट्रों को शामिल करेंगे, भले ही उन राष्ट्रों को नामित किया गया हो या नहीं.”आइआरएफए के अनुसार प्रतिबंध स्वत: नहीं हैं और एक व्यावहारिक मुद्दे के रूप में पाक या सऊदी अरब में बोर्ड पर लागू होने की आसार नहीं है. इस सूची में अन्य राष्ट्र इरिट्रिया, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान हैं. तालिबान और रूसी भाड़े के संगठन वैगनर ग्रुप सहित आठ अन्य समूहों को ‘विशेष चिंता की संस्था’ के रूप में एक समान पदनाम दिया गया था. तीन अन्य देशों, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस और वियतनाम को ‘धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों को शामिल करने या सहन करने के लिए विशेष नज़र सूची’ में डालकर कम गंभीर इलाज दिया गया.
भारत पर प्रश्न उठाने वालों की खुली पोल
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने इनमें से प्रत्येक राष्ट्र को नामित करने के विशिष्ट कारणों का विस्तार नहीं किया. हालांकि अमेरिका के इस कदम से विशेषकर उन राष्ट्रों की पोल खुल गई है, जो हिंदुस्तान में धार्मिक असहिष्णुता का आरोप लगाते रहे हैं. ब्लिंकन ने उन राष्ट्रों के पदनामों की व्याख्या करते हुए कहा, “दुनिया भर में, सरकारें और गैर-राज्य तत्व व्यक्तियों को उनके विश्वासों के आधार पर परेशान करते हैं, धमकाते हैं, कारागार में डालते हैं और यहां तक कि उन्हें मार भी देते हैं. कुछ उदाहरणों में वे अवसरों का लाभ उठाने के लिए सियासी फायदा के लिए व्यक्तियों की धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का गला घोंटते हैं.