नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन इण्डिया की तीसरी बैठक महाराष्ट्र के मुंबई में होने जा रही है, ऐसे में सभी की निगाहें बैठक में होने वाली चर्चाओं पर टिकी हैं। हाल ही में खत्म हुए संसद के मानसून सत्र में सभी दल एकजुट होकर काम करने में सफल रहे हैं।
इंडिया की 26 पार्टियों की तीसरी बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बोला कि रणनीति तैयार करने के लिए कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी ने हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार से भी मुलाकात की थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि तीसरी बैठक के दौरान घटक दलों के बीच समन्वय समिति सहित अन्य समितियों के गठन पर चर्चा प्रारम्भ होगी।
सूत्रों ने बोला कि बैठक में इण्डिया के लिए राष्ट्रीय संयोजक, समन्वय समिति और अन्य सियासी समितियों पर फैसला की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने बोला कि बेंगलुरु की बैठक में 11 सदस्यीय समन्वय समिति बनाने का फैसला लिया गया है, इसलिए इस पर विस्तृत चर्चा होगी, साथ ही संयोजक पद के लिए नाम पर भी चर्चा होगी।
सूत्र ने बोला कि बैठक के दौरान राहुल गांधी की सजा पर रोक पर भी चर्चा की जाएगी और भविष्य में बीजेपी द्वारा किसी भी प्रतिद्वंद्वी नेता के विरुद्ध ऐसी स्थिति से कैसे निपटा जाए इस पर भी विचार किया जाएगा।
इंडिया गठबंधन ने एक महीने के अंतराल में 23 जून को बिहार के पटना में और 18 और 19 जुलाई को कर्नाटक के बेंगलुरु में दो बैठकें की हैं।
हालांकि, पार्टी के एक सूत्र ने बोला कि तीसरी बैठक के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को घेरने की रणनीति भी कांग्रेस पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी, आप के राज्य सभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और लोकसभा सांसद सुशील कुमार रिंकू के निलंबन को ध्यान में रखते हुए ली जाएगी।
सूत्र ने बोला कि सांसदों के निलंबन और संसद में विधेयकों को पारित करने की संसदीय प्रक्रिया को बाधित करने से विपक्ष के हाथ में एक नया हथियार आ गया है।
सूत्र ने बोला कि इस प्रकार इण्डिया गठबंधन के सदस्य सियासी विरोधियों के विरुद्ध केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोपों के अतिरिक्त गवर्नमेंट के विरुद्ध गति का इस्तेमाल करेंगे।
उन्होंने बोला कि इस पर भी विस्तृत चर्चा होगी और राष्ट्र भर में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को कैसे घेरा जाए, इस पर चर्चा होगी।
पार्टी के एक अन्य नेता, जो 23 जून को बिहार के पटना में पहली और दूसरी विपक्षी बैठक और 17 और 18 जुलाई को कर्नाटक के बेंगलुरु में दूसरी बैठक का हिस्सा थे, ने बोला कि 26 विपक्षी दलों को एक साथ लाना लोकतंत्र और संविधान को बचाना है। विचार यह है कि बीजेपी के विरुद्ध विपक्षी दलों के वोटों में विभाजन को रोका जाए।
उन्होंने बोला कि ये सभी दल बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के रथ को रोकने के लिए एक साथ आए हैं जो 542 सीटों में से 353 सीटें जीतने में सफल रहा। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 303 सीटें जीती थीं।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 421 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 373 सीटों पर भाजपा से उसकी सीधी भिड़न्त थी। भाजपा ने 2019 का चुनाव 435 सीटों पर लड़ा था, जबकि बाकी सीटों पर उसके गठबंधन सहयोगियों ने चुनाव लड़ा था।
हालांकि, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध आक्रामक अभियान चलाने के बावजूद, सबसे पुरानी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में सिर्फ़ 52 सीटें जीतने में सफल रही।
पार्टी नेता ने बोला कि 2019 में भाजपा के विरुद्ध सीधे चुनाव लड़ने वाली सीटों को देखते हुए पार्टी में विस्तृत चर्चा चल रही है और वह अभी भी राष्ट्र भर में कम से कम 400 सीटों पर लड़ने की प्रयास करेगी।
सूत्र ने बोला कि बैठक के बाद एक सुखद तस्वीर पेश करने के बावजूद, आगे की राह बहुत सरल नहीं है क्योंकि इसके लिए बहुत सी गंभीर वार्ता की जरूरत है इसमें उन राज्यों में बलिदान शामिल है जहां क्षेत्रीय दल इसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं।