आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने इल्जाम लगाया है कि ऑफिसरों ने उन्हें तिहाड़ कारावास में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने की अनुमति नहीं दी. न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने तिहाड़ कारावास ऑफिसरों को नोटिस जारी किया और उन्हें उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया और मुद्दे की सुनवाई 9 सितंबर, 2024 को तय की.
संजय सिंह की ओर से पेश होते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने प्रस्तुत किया कि संबंधित अधीक्षक ने मनमाने ढंग से और अनुचित ढंग से संजय सिंह द्वारा दिल्ली कारावास नियम, 2018 के नियम 588 का हवाला देकर और यह कहते हुए मांगी गई लगातार दो अनुमतियों से इनकार कर दिया कि वह एक ‘पूर्व कैदी’ हैं. इनकार के लिए लिखित में कोई कारण नहीं दिया गया और नियम 616 कारणों को दर्ज करना जरूरी बनाता है. ‘पूर्व कैदी’ शब्द को दिल्ली जेल अधिनियम, 2000 या दिल्ली जेल नियम, 2018 में परिभाषित नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ता राज्यसभा में मौजूदा सांसद हैं. वह समुदाय के एक प्रतिष्ठित सदस्य, कट्टर राष्ट्रवादी और आम आदमी पार्टी के सदस्य भी हैं. सिंह ने याचिका के माध्यम से बोला कि याचिकाकर्ता के इंटरव्यू के अधिकार से बार-बार इनकार करना हिंदुस्तान के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार निहित उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि मौलिक ‘जीवन का अधिकार’ अपने दायरे में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने का अधिकार भी लेता है. /मित्र जो कारावास में हिरासत में हैं. दिल्ली कारावास नियम 2018 को दिल्ली कारावास अधिनियम, 2000 की धारा 71 के अनुसार प्रत्यायोजित कानून के माध्यम से तैयार किया गया है. अध्याय IX के अनुसार दिल्ली कारावास अधिनियम, 2000 इंटरव्यू और पत्रों से संबंधित है
आप नेता ने आज बोला कि सीएम अरविंद केजरीवाल को कारावास भेजने के पीछे एक गहरी षड्यंत्र है. उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने बोला कि मैं दिल्ली का सांसद हूं, कारावास का दौरा भी कर सकता हूं. इसके साथ ही केजरीवाल जी ने मिलने वाले लोगों की लिस्ट में मेरा नाम दिया है लेकिन पिछले 5 महीने से मुझे केजरीवाल जी से मिलने नहीं दिया जा रहा है. बुलडोजर एक्शन को लेकर उन्होंने बोला कि राष्ट्र की जनता गवर्नमेंट चुन रही है. बाबा साहब ने अपराधियों को सजा देने के लिए कानून लिखा, अदालतें बनीं लेकिन राष्ट्र में बुलडोजर तंत्र चल रहा है. बुलडोजर तंत्र को लेकर उच्चतम न्यायालय ने बहुत ही कठोर टिप्पणी की है. मैं देशवासियों को बोलना चाहूंगा कि बुलडोजर किसी का सगा नहीं है.