इमरजेंसी, मॉर्शल लॉ, महाभियोग और रक्षा मंत्री का त्याग-पत्र साउथ कोरिया की बीती रात इन्हीं हेडलाइन्स के साथ बीती है. 3 दिसंबर की रात लगभग साढे़ दस बजे साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल टीवी पर आए और अचानक पूरे राष्ट्र में मॉर्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी. बोला कि नार्थ कोरिया के कम्युनिस्ट शासन से राष्ट्र को खतरा है. ये लोग हमारी खुशियां छीनना चाहते हैं इसलिए ऐसा किया जा रहा है. राष्ट्रपति की घोषणा के बाद राजधानी सियोल की सड़कों पर सेना के टैंक दौड़ने लगे. संसद के पास सैनिक बड़ी संख्या में एकट्ठे हो गए. कुछ देर में जनता भी सड़कों पर आ गई. राष्ट्रपति के इस निर्णय का विरोध किया. घंटे भर के अंदर हजारों लोग संसद को घेर चुके थे. 6 घंटे के लिए ही ठीक लेकिन साउथ कोरिया 40 वर्ष बाद मार्शल लॉ की भेंट चढ़ा.
मार्शल लॉ है क्या?
साउथ कोरिया के संविधान के अनुसार, युद्ध, सशस्त्र संघर्ष या राष्ट्रीय आपातकाल के समय प्रेजिडेंट मार्शल लॉ लागू कर सकते हैं. ऐसा होने पर सार्वजनिक प्रबंध बनाए रखने के लिए सेना तैनाती की जाती है और सियासी दलों, नागरिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया जाता है मीडिया आउटलेट पर भी सेना का नियंत्रण हो जाता है. मार्शल लॉ की घोषणा होते हुए सेना ने संसद को अपने घेरे में ले लिया था. प्रेजिडेंट यून ने इसके लिए राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और नॉर्थ कोरिया की धमकियों का हवाला दिया. यून ने विपक्षी दलों पर गवर्नमेंट को पंगु बनाने और राष्ट्र के लोकतंत्र को कमजोर करने का इल्जाम लगाया, हालांकि उन्होंने सबूत नहीं दिए. संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन प्रारम्भ हो गए और लोगों ने प्रेजिडेंट के इस्तीफे की मांग कर डाली.
कैसे खारिज हुआ मार्शल लॉ?
साउथ कोरिया की विपक्षी पार्टी को अंदेशा हो गया था कि राष्ट्र के साथ कुछ बुरा होने जा रहा है. इसलिए उन्होंने फौरन संसद में मीटिंग बुलाई और इस निर्णय के विरुद्ध वोटिंग की. मार्शल लॉ लागू होने के बाद नैशनल असेंबली ने बैठक की और मार्शल लॉ डिक्री को खारिज करने के लिए सर्वसम्मति से वोटिंग की. करीब रात के 1 बजे सर्वसम्मति से मॉर्शल लॉ के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया गया. 190-0 के अंतर से ये प्रस्ताव पास हुआ. यानी 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के विरुद्ध वोट किया. समर्थन में 0 सांसद थे. यहां तक कि राष्ट्रपति की अपनी पार्टी ने भी उनके निर्णय को गैरकानूनी बताते हुए उसका विरोध कर दिया. विपक्ष की इस समझदारी ने साउथ कोरिया को अंधकार में जाने से बचा लिया. यूनियन नेताओं ने यून के पद छोड़ने तक स्ट्राइक करने की धमकी दी. राष्ट्रपति को मार्शल लॉ समाप्त करने के लिए विवश होना पड़ा. राष्ट्रपति सुक येओल सुबह 4 बजे टीवी पर आकर इसका घोषणा कर दिया.
क्या मेसेज निकला?
मार्शल लॉ को आम तौर पर विरोध को कुचलने के एक हथियार के रूप में देखा जाता है, लेकिन साउथ कोरिया में जिस तरह विपक्ष और आम लोगों ने प्रेजिडेंट के निर्णय का विरोध किया उससे उन्हें अपने निर्णय को पलटना पड़ा और इसने मार्शल लॉ के ऊपर भी लोकतंत्र की ताकत को जाहिर किया. इसी के साथ प्रेजिडेंट यून का सियासी कद घटा है और उनके विरुद्ध महाभियोग की मांग बढ़ गई है.
रक्षा मंत्री ने दिया इस्तीफा
रक्षा मंत्री किम योग-ह्यून ने माफी मांगी और त्याग-पत्र दे दिया. किम ने बोला कि मैंने आपातकालीन मार्शल लॉ की वजह से पैदा हुई उथल-पुथल की जिम्मेदारी लेते हुए राष्ट्रपति को अपना त्याग-पत्र सौप दिया है. इल्जाम है कि किम ने कथित तौर पर मार्शल लॉ घोषित करने का प्रस्ताव रखा था.
राष्ट्रपति पर बढ़ा दबाव
विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति से बोला कि वह त्याग-पत्र दें नहीं तो महाभियोग का सामना करें. राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने बोला कि उनके वरिष्ट सलाहकारों और मंत्रियों ने सामूहिक रूप से त्याग-पत्र देने की पेशकश की है. राष्ट्रपति ने बुधवार का अपना आधिकारिक कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया.
अमेरिका ने पूरे मुद्दे पर क्या बोला
अमेरिका ने साउथ कोरिया में मार्शल लॉ हटने के बाद राहत की सांस ली है. वाइट हाउस के एक अधिकारी ने बोला कि साउथ कोरिया के राष्ट्रपति का मार्शल लॉ वापस लेना राहत की बात है. लोकतंत्र अमेरिका-साउथ कोरिया गठबंधन का आधार है और हम स्थिति पर नजर रखे हुए है.