Health: कोविड महामारी के बाद बाजार में पैकेज्ड जूस की बिक्री बहुत बढ़ गई है। सुपरमार्केट से लेकर लोकल दुकानों पर तरह-तरह के रियल फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक्स, हेल्थ ड्रिंक्स के पैकेट सरलता से मिल जाते हैं। इतना ही नहीं, इनका दावा है कि ये स्वास्थ्य के लिए न केवल अच्छे बल्कि महत्वपूर्ण भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जूस हमें स्वास्थ्य वर्धक बनाने की बजाय हमें बीमार कर रहे हैं। फ्रूट जूस के नाम पर लोग चीनी का घोल पी रहे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। यह दावा है हिंदुस्तान की सबसे पुरानी और सबसे विश्वसनीय हेल्थ रिसर्च बॉडी भारतीय काउंसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का।
मिलाया जाता है आर्टिफिशियल फ्लेवर
ICMR ने बोला है कि यदि हम पैकेज्ड फूड के लेबल देखकर इनका सेवन कर रहे हैं तो अपनी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। क्योंकि पैकेज्ड फूड के लेबल भ्रामक या गलत हो सकते हैं। रियल फ्रूट जूस बताकर बेचे जा रहे जूस के पैकेट में सेब, अनार और चुकंदर का रस नहीं है, बल्कि ढेर सारी चीनी घोली गई है। इन फलों का आर्टिफिशियल फ्लेवर मिलाया गया है। तभी ये फलों के मुकाबले इतने सस्ते भी हैं और इतने मीठे भी।
शुगर-फ्री टैग है केवल धोखा
ICMR के मुताबिक, शुगर-फ्री टैग के साथ बिक रहे फूड आइटम्स भी हमारे साथ विश्वासघात है। इनमें रिफाइंड फैट, प्योरीफाइड आर्टिफिशियल न्यूट्रिएंट्स और यहां तक कि शुगर भी मिला हो सकता है। यानी बाजार से जो चीजें हम यह सोचकर खरीदकर ला रहे हैं कि इससे हमारी स्वास्थ्य को लाभ होगा, वो दरअसल हमारी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।
सिर्फ 10% ही होता फ्रूट पल्प
बाजार में मिल रहे रियल फ्रूट जूस असल में फलों का रस नहीं है। ICMR के मुताबिक, इसमें बमुश्किल 10% ही फ्रूट पल्प होता है। बाकी 90% हिस्सा कॉर्न सिरप, फ्रुक्टोज या अन्य शुगर प्रोडक्ट्स से बना हो सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार बहुत संभव है कि बाकी 90% हिस्से में खास फल का स्वाद देने के लिए आर्टिफिशियल टेस्ट मिलाए गए हों।
हार्ट फ्रेंडली ऑयल के भ्रामक दावे
ICMR की एडवाइजरी के मुताबिक, नो कोलेस्ट्रॉल या हार्ट फ्रेंडली के टैग के साथ बिक रहे ऑयल भ्रामक हो सकते हैं क्योंकि प्लांट बेस्ड ऑयल में भले ही कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है, इसके बावजूद ये 100% फैट हैं और इन्हें हार्ट फ्रेंडली मानकर इस्तेमाल किया जाए तो यह घातक साबित हो सकता है। शरीर के लिए फैट महत्वपूर्ण है। यदि यह सैचुरेटेड फैट या ट्रांस फैट नहीं है तो स्वास्थ्य के लिए बुरा नहीं है।
नेचुरल कहकर बेचा जा रहा
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसी फूड प्रोडक्ट को तभी तक ‘प्राकृतिक’ बोला जा सकता है, जब तक उसमें कोई कलर, फ्लेवर या आर्टिफिशियल सब्सटेंस न मिलाया गया हो। जबकि बाजार में बिक रहे कई प्रोडक्ट्स में ये सब उपस्थित है, फिर भी इन्हें नेचुरल कहकर बेचा जा रहा है|