वेब सीरीज ‘तांडव’ को लेकर मचे बवाल और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर फिल्मी हस्तियों ने चिंता जताई है। हंसल मेहता, प्रीतीश नंदी, कोंकणा सेन शर्मा और गुलशन देवैया समेत अन्य लोगों ने कहा कि पर्दे पर निभाई जाने वाले काल्पनिक चरित्रों के लिए कलाकारों को जिम्मेदार ठहराना गलत है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रिपोर्ट साझा करते हुए कोंकणा सेन शर्मा ने ट्वीट किया, शो में शामिल लगभग सभी लोगों ने स्क्रिप्ट पढ़ी है और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं? अब पूरी टीम को गिरफ्तार करें। पटकथा लेखक और गीतकार मयूर पुरी ने कहा कि किसी काल्पनिक चरित्र के लिए अभिनेता को जिम्मेदार ठहराना ‘हास्यास्पद’ है।
उन्होंने कहा कि फैसले ने एक खतरनाक मिसाल कायम की है और इससे कला और कलाकार के बीच की रेखा धुंधली होती है। उन्होंने कहा कि… यह गल्प है। उस तर्क से आप कहेंगे कि अमरीश पुरी एक बुरे व्यक्ति थे। वह नहीं थे, उन्होंने सिर्फ उन पात्रों को निभाया। आप उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। यह कानून की कठोर व्याख्या है, यह पूरी तरह से अवांछनीय है।
श्रेया धनवंतरी ने ट्वीट किया कि अब से हमें ऐसे किरदार निभाने हैं जो वास्तव में हम हैं…। फिल्मकार हंसल मेहता ने लिखा कि अर्णब या तांडव? कौन ज्यादा खतरनाक है? उन्होंने लिखा कि दीप सिद्धू या मोहम्मद जीशान अयूब?
अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने तांडव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ट्वीट किया कि सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकताएं। ‘तांडव’ में बॉलीवुड कलाकारों सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और मोहम्मद जीशान अयूब आदि ने काम किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक अली अब्बास जफर और अन्य को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से बुधवार को इनकार कर दिया था। हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर ठेस पहुंचाने को लेकर वेब सीरीज के निर्देशक और अन्य ने उनके खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के अनुरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं।
कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और यह कुछ पाबंदियों के तहत है। न्यायालय ने कहा कि जफर, अमेजन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित और निर्माता हिमांशु मेहरा, शो के लेखक गौरव सोलंकी और अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब वेब सीरीज के सिलसिले में दर्ज एफआईआर में संबद्ध अदालतों से जमानत का अनुरोध कर सकते हैं।
अयूब की ओर से पेश वकील ने वेब श्रृंखला के कथित आपत्तिजनक हिस्से का बचाव करते हुए कहा कि एक अभिनेता के रूप में, उनके द्वारा बोले गए संवादों पर उनका कोई कलात्मक नियंत्रण नहीं है। पीठ ने कहा कि आप स्क्रिप्ट पढ़े बिना भूमिका नहीं निभा सकते। आप दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली भूमिका नहीं निभा सकते।