Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदुस्तान में सबसे मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक है। यह पवित्र मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्थित है, जो ईश्वर विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने के बाद आदमी के सारे पाप धुल जाते हैं और आपका जीवन धन्य हो जाता है, इसलिए हर कोई अपने जीवन में एक बार तिरुपति बालाजी मंदिर जाकर ईश्वर तिरुपति के दर्शन जरूर करते है, इस मंदिर के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित
तिरुपति बालाजी मंदिर ईश्वर विष्णु के एक रूप ईश्वर वेंकटेश्वर को समर्पित है, वे मानव जाति को कलियुग की परीक्षाओं और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस जगह का नाम कलियुग वैकुंठ भी पड़ा है और यहां के देवता को कलियुग प्रत्यक्ष दैवम बोला जाता है, इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर, तिरुपती मंदिर और तिरूपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन
तिरुपति बालाजी मंदिर आने वाले प्रत्येक आदमी की सबसे बड़ी ख़्वाहिश ईश्वर वैंकटेश्वर के दर्शन करने की होती है। तिरुपति बालाजी मंदिर में रोजाना एक लाख से भी अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर भक्तों की लंबी कतारें देखकर सहज की इस मंदिर की प्रसिद्धि का संभावना व्यक्त किया जाता है। मुख्य मंदिर के अतिरिक्त यहां अन्य मंदिर भी हैं। तिरुमला और तिरुपति का भक्तिमय वातावरण मन को श्रद्धा और आस्था से भर देता है।
मंदिर की चढ़ाई
तिरुपति बालाजी मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। श्रद्धालुओं को पैदल चढ़ने के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम नामक एक विशेष मार्ग बनाया गया है, इसके द्वारा प्रभु तक पहुंचने की चाह की पूर्ति होती है, इसके साथ ही अलिपिरी से तिरुमाला के लिए भी एक मार्ग है।
जानें मंदिर की रहस्य
01. मुख्यद्वार के दाएं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा प्रारम्भ हुई।
02. ईश्वर बालाजी के सिर पर रेशमी केश हैं, उनमें गुत्थिया नहीं आती और वह हमेशा ताजा रहेते है।
03. मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है, उस गांव में बाहरी आदमी का प्रवेश निषेध है। वहीं से लाए गए फूल, दूध, घी, माखन आदि ईश्वर को चढ़ाए जाते हैं।
04. ईश्वर बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते हैं। लेकिन, वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऐसा लगता है।
05. बालाजी को रोजाना नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है।
06. गृभगृह में चढ़ाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वहीं पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।
07. बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहां गीलापन रहता ही है, वहां पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है।
08. बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं। हर गुरुवार को निजरूप दर्शन के समय ईश्वर बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है।
09. बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुए तिरूपति से 20 किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं।