अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिका ने सऊदी अरब में तैनात पैट्रियट मिसाइल सिस्टम और टर्मिनट हाई एल्टिट्युड एरियल डिफेंस सिस्टम हो हटा दिया है। आखिर अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के हटने के बाद बाइडन प्रशासन ने सऊदी अरब में यह कदम क्यों उठाया। क्या अमेरिका ने सच में सऊदी अरब का साथ छोड़ दिया। इसके पीछे बाइडन प्रशासन की क्या रणनीति है। अमेरिका की इस रणनीति के पीछे चीन का क्या लिंक है। आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।
अब चीन पर पूरी तरह से फोकस करेगा अमेरिका
प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अब सेना को पूरी तरह से चीन पर केंद्रित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब बाइडन प्रशासन का पूरा ध्यान चीन पर होगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर उसका मुख्य प्रतिद्वंदी बनकर उभरा है। प्रो. पंत ने कहा कि बाइडन ने शुरू में यह संकेत दिया था कि वह ईरान के साथ तनाव कम करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत करने का इच्छुक हैं। हालांकि, बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपना रखा था।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय को लगता है कि खाड़ी देशों में अब जंग का खतरा कम हुआ है। इस बीच, सऊदी अरब ने खुद से हूती विद्रोहियों के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसी रणनीति के तहत अमेरिका ने खाड़ी देशों सऊदी अरब, इराक, कुवैत, जॉर्डन से आठ पैट्रियोटऐंटी मिसाइल सिस्टम हटाने का फैसला लिया था।
उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन के रुख में यह बदलाव खाड़ी देशों में तनाव के कम होने और सऊदी अरब-ईरान में बातचीत शुरू होने और अमेरिका के रणनीतिक अनिवार्यता में बदलाव के बाद आया है। बाइडन प्रशासन ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब अफगानिस्तान से भी अमेरिकी अभियान खत्म हो गया है। इस वजह से इस इलाके से सैनिकों और हथियारों को कम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर चीन की बढ़ती आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका ने मिसाइलों की तैनाती शुरू कर दी है। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बना चुका चीन अब प्रशांत महासागर और आसपास के इलाकों में तेजी से नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ा रहा है। इसी की काट खोजने के लिए अमेरिका ने एयर डिफेंस और अटैक मिसाइलों की एक पूरी सीरीज को चीन के चारों ओर तैनात कर दिया है। अमेरिकी नौसेना ने आस्ट्रेलिया में पैट्रियट मिसाइल डिफेंस लॉन्चर की भी तैनाती की है।
उन्होंने कहा कि इसका एक अन्य कारण कोरोना महामारी भी है। इस महामारी का असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसलिए अमेरिका का जोर है कि कम से कम देशों में सैनिकों की तैनाती कर अमेरिकी सैन्य खर्च को बचाया जाए। इस वजह से भी अमेरिका विभिन्न देशों में तैनात सैनिकों को और अपने उपकरणों को समेट रहा है। अब वह दुश्मन नंबर वन और टू के हिसाब से अपनी रणनीति में बदलाव करने के लिए बाध्य हुआ है।