यह चिंता की बात है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से पॉजिटिव होकर ठीक हो चुके लोगों में दोबारा संक्रमित होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे के दोबारा संक्रमित होने के मामले ने स्थिति को उन लोगों के लिए अलार्मिंग कर दिया है जो इसकी चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं।
65 साल से ऊपर के लोगों में अधिक खतरा
भारत सरकार ने अक्टूबर 2020 में पहली बार कोरोना के दोबारा संक्रमण के मामलों को स्वीकार किया था उस समय देश में कुल तीन और दुनिया में 24 ऐसे मामलों की जानकारी सामने आई थी। पिछले दिनों तमाम रिपोर्ट में यह कहा गया था कि कोरोना वायरस के दोबारा इंफेक्शन का खतरा 65 साल से ऊपर के लोगों में अधिक है लेकिन महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे तो सिर्फ 45 साल के हैं और उनके दोबारा चपेट में आने से ऐसा लग रहा है कि कहीं ये कोरोना के नये वैरिएंट का काम तो नहीं जिसके बारे में पिछले दिनों आशंका जताई गई थी।
नए वैरिएंट के लगभग 54 मामलों की पुष्टि
पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों का मानना था कि नए COVID-19 वेरिएंट लोगों को दोबारा नोबेल कोरोना वायरस से प्रभावित कर सकते हैं। डेसर्ट न्यूज के मुताबिक, सोमवार को उटाह में किसी ऐसे व्यक्ति का COVID-19 वैरिएंट का पहला मामला दर्ज किया, जिसे मूल रूप से ब्राजील में खोजा गया था। अब तक अमेरिका में COVID-19 के नए वैरिएंट के लगभग 54 मामलों की पुष्टि की गई है।
दक्षिण कैरोलिना के महामारी विज्ञानी डॉ. स्कॉट करी ने कहा है कि इस नए वेरिएंट की वजह से री इंफेक्शन बड़ा खतरा बन सकता है। यह दुनिया के उन क्षेत्रों में हो रहा है जहां वेरिएंट नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है। उदाहरण के लिए, ब्राज़ील में उन लोगों के लिए बहुत कठिन समय है, जिन्हें दूसरी बार COVID-19 का संक्रमण हुआ है।
दो बार नोबेल कोरोना वायरस से संक्रमित होना बहुत दुर्लभ
महामारी विज्ञानी ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि अगर आप आपको दो अलग-अलग मौकों पर परीक्षण में कोरोनवायरस का उच्च वायरल लोड दिखता है तो आपको दोबारा संक्रमण हो गया है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि वैसे तो दो बार नोबेल कोरोना वायरस से संक्रमित होना बहुत दुर्लभ है – लेकिन ये संभावना आपकी उम्र के आधार पर देखी जाती है।
नये अध्ययन के मुताबिक जिसे हाल ही में मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित किया गया था। इस नये अध्ययन के मुताबिक वो लोग जो कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनके लिए छह माह तक पुनः सक्रमण से सुरक्षित रहने की बात माी जाती है। लेकिन वायरस के वैरिएंट या मूल स्वरूप में बदलाव से कोरोना वायरस का पुन: संक्रमण हालांकि बहुत कम होता है लेकिन 65 वर्ष से कम उम्र के लोगों में इसकी संभावना लगभग 80% कम हो जाती है। बावजूद इसके जिन लोगों की उम्र 65 वर्ष से अधिक है उनमें इसकी संभावना 50% तक रहती है, जो यह इंगित करता है कि पुराने लोगों को फिर से COVID-19 से संक्रमित होने की अधिक संभावना हो सकती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक यह भी देखने में आया है कि पहले संक्रमण में जो लोग हल्के तौर पर बीमार हुए थे, वे फिर से संक्रमित हुए और दूसरा संक्रमण काफी हद तक लक्षण-मुक्त था। लेकिन भारत में अब तक जो दोबारा संक्रमण के मामले आए हैं उनमें कोरोना का पहला संक्रमण अगर हल्का था तो दूसरा संक्रमण काफी खतरनाक रहा है। इस पर वैज्ञानिक अभी और अध्ययन कर रहे हैं।