ताइवान और चीन के बीच दुश्मनी जग जाहिर है। एक तरफ जहां चीन ताइवान पर अपना अधिकार जताता है वहीं दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। यही वजह है कि दोनों के बीच तीखी बयानबाजी से लेकर डराने और धमकाने की बात भी होती रहती है। ये सिलसिला अब भी जारी है। दरअसल, चीन के तानाशाही रवैये से परेशान ताइवान ने साफ कर दिया है कि यदि चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में अपने फाइटर जेट भेजे और उसकी धरती पर हमला किया तो ताइवान भी चुप नहीं बैठेगा। ताइवान चीन को मुंहतोड़ जवाब देगा और वो अंतिम लड़ाई तक लड़ने के लिए तैयार है।
ताइवान ने ये जवाब चीन के उस कदम के बाद दिया है जिसके तहत बुधवार को ड्रैगन के लड़ाकू विमान ताइवान के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुए थे। चीन का ये रवैया इसलिए भी है, क्योंकि वो नहीं चाहता है कि ताइवान अमेरिका से बेहतर संबंध स्थापित करे। वहीं ताइवान और अमेरिका लगातार नजदीक आ रहे हैं। ताइवान को अमेरिका हथियारों की सप्लाई कर रहा है।
चीन के लड़ाकू विमानों द्वारा ताइवान के हवाई क्षेत्र का अतिक्रमण करने पर वो कई बार पहले भी चीन को चेतावनी देता रहा है। इसके बाद भी चीन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। चीन के लड़ाकू विमान लगभग हर रोज ही इस तरह से ताइवान के हवाई क्षेत्र में दाखिल होते हैं। सोमवार को चीन ने बताया था कि वो ताइवान के नजदीक एक अभ्यास कर रहा है। इसके बाद ताइवान ने जानकारी दी थी कि चीन के 15 एयरक्राफ्ट, 12 फाइटर जेट उसके एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसे थे। इनमें एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट भी शामिल थे। इनकी पॉजीशन ताइवान और फिलीपींस के बीच मौजूद बाशी चैनल में थी।
इसके बाद ताइवान ने चीन लड़ाकू विमानों को चेतावनी देने के मकसद से अपने विमान भी भेजे थे। यूएस नेवी का कहना है कि उसका गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर जॉन एस मैक्केन ताइवान स्ट्रेट से नियमित निगरानी के दौरान वहां से गुजरा था। चीन का कहना है कि उसने इसका पीछा भी किया और इस पर निगाह भी रखी थी। चीन ने अमेरिकी जंगी जहाज की इस इलाके में मौजूदगी पर नाराजगी जताई है। चीन का कहना है कि जंगी जहाज मैक्केन की मौजूदगी इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकती है। इसके जवाब में अमेरिका ने कहा है कि वो ताइवान की सुरक्षा के लिए चट्टान की तरह खड़ा है। वो चीन की जबरदस्ती और तानाशाही रवैये का पुरजोर विरोध करता है।