जब अमेरिका को भरोसा हो गया कि अब समुद्री जंग का खतरा खत्म हो गया है, तब उसकी नौ सेना ने पूराने टामहाक मिसाइलों को डिकमीशन कर दिया। इसके साथ ही अपने युद्ध पोतों और विमानों से हारपून मिसाइलों को हटा लिया। चीन से चुनौती मिलने के बाद अमेरिका ने एक बार फिर अपनी नौ सेना को और मजबूत करने का फैसला लिया है।
कुछ वर्षों बाद अमेरिका ने टामहाक मिसाइलों के नए वर्जन को विकसित किया। टामहाक मिसाइले अभी भी जमीन पर मौजूद ठिकानों पर हमला करने के लिए अमेरिका की पसंदीदा मिसाइल है। वर्ष 2015 में कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर एक टेस्ट में अमेरिकी नेवी इंजीनियरों ने टामहाक मिसाइलों में संशोधन किए और इसमें ऐसे यंत्र लगाये तो चलते हुए लक्ष्य को टारगेट कर सकता था।
अमेरिकी प्रशासन ने इस टेस्ट को गेम चेंजर बताया था और इसे 1000 मील की दूरी से मार करने वाला क्रूज मिसाइल बताया था। 2017 के बजट में अमेरिका ने 187 मिलियन डालर की लागत से 100 और टामहाक मिसाइलों को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था।
क्या है परमाणु पनडुब्बी और उसका इतिहास
दरअसल, यह एक परमाणु संचालित पनडुब्बी है। यानी यह परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित है, लेकिन यह परमाणु हथियार नहीं है। परमाणु पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी है, जो समुद्र के अंदर कई महीनों तक छुपी रह सकती है। इसकी खासियत यह है कि उसे अपने ईंधन के लिए बाहर आने की जरूरत नहीं पड़ती। यानी परंपरागत पनडुब्बियों (डीजल और इलेक्ट्रिक से चलने वाली) को अपनी बैटरियों को चार्ज करने के लिए सतह पर आना पड़ता है, लेकिन परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी को ऐसी कोई जरूरत नहीं पड़ती है। यह पनडुब्बी दुश्मन देश को बिना पता लगे उस पर मिसाइलें दागने में सक्षम होती है।