मुक्केबाजी की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद अली की विरासत रिंग में संभालना आसान नहीं हैं। उनके 21 साल के नाती निको अली वाल्श यह बात बखूबी जानते हैं, पर उनका मानना है कि नाना का नाम उनके लिए बड़ी प्रेरणा है और वह खुद अपना एक मुकाम बनाना चाहते हैं।
निको अली वेल्श का कहना है कि इस जगह से उनका भावनात्मक लगाव है। वह फाइट ऑफ द सेंचुरी की टीशर्ट पहनकर मेडिसन स्क्वॉयर गॉर्डन घूमने गए जहां उनके दादा और मौसी लैला अली (मोहम्मद अली की बेटी) खेल चुकी हैं।
मोहम्मद अली की अन्य बेटी रशीदा के पुत्र निको ने कहा कि मैं मेरे नाना ही नहीं आंटी भी यहां खेल चुकी हैं। निको ने कहा, ‘यदि मैं अपने दिग्गज नाना से नहीं जुड़ा होता तो भी यह फाइट मेरे लिए सुपर होती लेकिन चूंकि वह (मोहम्मद अली) खुद यहां रिंग में उतरे हैं, तो यह मेरे लिए खास है, जब मेरा परिवार यहां फाइट देखने आएगा तो उनके मन में भी यही विचार होंगे।’
रे सांचेज से होगा मुकाबला
लाइटवेट में उनका चार राउंड का मुकाबला रे सांचेज से होगा जिन्होंने अपनी छह में से दो फाइट नॉकआउट जीती हैं। अली वेल्श अमेरिका के लास वेगास में पले हैं और इस हफ्ते से पहले वह न्यूयॉर्क नहीं आए थे।
आठ बार उतरे हैं एमसीजी में अली
दिग्गज मोहम्मद अली ने एमसीजी में आठ फाइट लड़ी है जिसमें 8 मार्च 1971 को जो फ्रेजियर के खिलाफ पहली फाइट को छोड़कर सभी में जीत हासिल की। फ्रेजियर के खिलाफ हेवीवेट मुकाबला 15 राउंड तक चला था। इसे फाइट ऑफ द सेंचुरी का नाम दिया गया था। तीन साल बाद अली ने फ्रेजियर से हिसाब चुकता कर लिया था।