पेगासस जासूसी कांड (Jasoosi Case) पर विपक्षी दलों की गोलबंदी से इस सप्ताह भी संसद (Parliament) का चलना मुश्किल नजर आ रहा है। गतिरोध समाप्त करने की सरकार की पहल अभी तक नाकाम साबित हुई है। बुधवार को इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में दिन भर हंगामा होता रहा और पांच बार कार्यवाही स्थगित करने के बाद आखिरकार सदन को गुरुवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उधर राज्यसभा में भी विपक्ष ने पेगासस के मुद्दे पर तीखे तेवर दिखाए और विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे को लेकर कई बार सदन में हंगामा किया। लगातार शोर-शराबे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही भी गुरुवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई। पेगासस जासूसी कांड, महंगाई और किसानों के मुद्दे पर विपक्ष पूरी तरह एकजुट हो गया है। 14 विपक्षी दलों (14 Opposition Parties Meeting) ने अपनी अहम बैठक के दौरान सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी कहा कि हम इन महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे और सरकार को इस बाबत स्पष्ट जवाब देना होगा।
विपक्ष के तेवर को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार के लिए मानसून सत्र के दौरान संसद को चलाना अब आसान साबित नहीं होगा। विपक्ष को मिला बड़ा हथियार दरअसल पेगासस जासूसी कांड ने विपक्ष के हाथ में बड़ा हथियार दे दिया है और विपक्ष इस हथियार के जरिए सरकार पर हमले का कोई मौका नहीं चूकना चाहता। यही कारण है कि विपक्ष ने इसे देश के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए सरकार की घेरेबंदी कर रखी है। अभी तक इस मुद्दे पर गतिरोध समाप्त करने की सरकार की हर पहल नाकाम साबित होती दिख रही है। संसद सत्र के पहले हफ्ते में राज्यसभा में सिर्फ 4 घंटे कामकाज हो हो सका तो दूसरी और लोकसभा में पूरा हफ्ता पेगासस को लेकर हुए हंगामे की भेंट चढ़ गया। अब 14 विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए हाथ मिला लिया है। ऐसे में संसद का चलना काफी मुश्किल माना जा रहा है। सरकार को घेरने की विपक्ष की रणनीति सदन के बाहर हुई 14 विपक्षी दलों की बैठक में महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की गई है। विपक्षी दलों के इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस के अलावा डीएमके, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, आम आदमी पार्टी, इंडियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रीय समाज पार्टी, केरल कांग्रेस आदि दलों के नेता मौजूद थे।