पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने प्रयागराज में बोला कि बहराइच में दंगा दुख:द है. ऐसा नहीं होना चाहिए. रीता जोशी ने बोला कि सभी धर्म के लोगों को अपने धर्म का पालन करना चाहिए. उत्तर प्रदेश में कानून प्रबंध सबसे बेहतर है. उन्होंने बोला कि एक ईंट से दंगा हो जाए.
रीता जोशी ने बोला कि पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबका साथ सबका विकास के अनुसार काम कर रहे है.
रीता जोशी ने किसी का नाम लिए बगैर बोला कि बांटने वाले कौन हैं सब जानते हैं. वोटों का धुव्रीकरण की प्रयास असफल की जानी चाहिए.
यूपी के सभी विश्वविद्यालयों में होंगे कार्यक्रम
रीता जोशी ने बोला कि स्व। कमला बहुगुणा के जन्म शताब्दी साल में उनकी स्मृति में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे. पूर्व सांसद प्रो। रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय उ।प्र। गवर्नमेंट द्वारा कमला बहुगुणा की आदमकद कांस्य प्रतिमा बहुगुणा बाजार इन्साफ मार्ग प्रयागराज में स्थापित की जाएगी.
प्रतिमा का अनावरण निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री हिंदुस्तान सरकार, के द्वारा स्व। कमला बहुगुणा के जन्म दिन 30 दिसंबर-2024 को किया जाएगा. हेमवती नन्दन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा उ।प्र। और उत्तराखण्ड के 40 विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में 15 से 30 अक्टूबर के बीच विषय ‘क्या हिंदुस्तान में स्त्रियों को आरक्षण देने से असली समानता हासिल की जा सकती है, पर वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.
उन्होंने कहा कि उ।प्र। के लगभग सभी जरूरी विश्वविद्यालयों बनारस (बी।एच।यू।), लखनऊ, बरेली, गोरखपुर, आगरा, कानपुर, गौतमबुद नगर (नोएडा), चौधरी चरण (मेरठ), सम्पूर्णानन्द संस्कृत यूनिवर्सिटी (वाराणसी) सहित कई निजी यूनिवर्सिटी जैसे ऐमटी, गलगोटिया (नोएडा), शोभित विवि, सुभारती विवि, महाबीर विवि (मेरठ), बाबू बनारसी दास विवि, रामस्वरूप मेमोरियल विवि (लखनऊ), महर्षि विवि (लखनऊ), इन्टेग्रल विवि (लखनऊ), तथा लखनऊ के के।के।सी। विवि, आई।टी कालेज, गुरूनानक गर्ल्स महाविद्यालय, एस।आर।आई।एम।टी। में भी आयोजन होगा.
अनुमति न देने पर पर जताया खेद
पूर्व सांसद ने बोला कि मुझे खेद है कि इलाहाबाद विवि ने उपरोक्त कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है एवं मेरे द्वारा यूनिवर्सिटी को प्रेषित 3 पत्रों का कोई उत्तर कुलपति या रजिस्ट्रार की ओर से नहीं मिला. उन्होंने बोला कि कमला जी 1942 में विवि की छात्रा रहीं थीं और हिंदुस्तान छोड़ों आंदोलन के उस जुलूस की अगली पंक्ति में जिस पर गोली चली और लाल पद्मधर शहीद हुए थे. उनका जीवनवृत स्त्रियों के लिए प्रेरणा श्रोत है.