अफगानिस्तान की स्थिति पर दिल्ली में अगले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की बैठक होनी है। इसकी मेजबानी भारत करेगा। इस बैठक में कई अन्य देशों के साथ रूस और पाकिस्तान को भी न्योता दिया गया है। बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल करेंगे। माना जाता है कि इस क्षेत्रीय सम्मेलन में चीन, इरान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान को भी बुलाया गया है। इसमें अफगानिस्तान में मानवीय संकट के मसलों पर बातचीत होगी। साथ ही सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।
प्रस्तावित वार्ता 10-11 नवंबर को हो सकती हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक यह सम्मेलन 2019 में ईरान में पहले आयोजित क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन के समान प्रारूप में होगा। एनएसए-स्तरीय बैठक में आमंत्रित लोगों में अफगानिस्तान के पड़ोसी देश- रूस, चीन, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। पता चला है कि उस आमंत्रण को पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसूफ को भी दे दिया गया है, हालांकि सम्मेलन और आमंत्रण पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, पता चला है कि तैयारी चल रही है।
तालिबान से दुनिया को जैसी अपेक्षाएं हैं, उसके बारे भी अवगत कराया जाएगा। बताया जा रहा है कि जिन देशों के एनएसए को आमंत्रित किया गया है, उन्हें पहले ही भारत से निमंत्रण मिल चुका है। हालांकि, इस कॉन्फ्रेंस में तालिबान को न्योता नहीं दिया गया है। यह बैठक नवंबर के दूसरे हफ्ते में प्रस्तावित है।
रूस ने भी 20 अक्टूबर को मॉस्को में इसी तरह का सम्मेलन रखा है। इसमें भारत के साथ-साथ उसने तालिबान को भी बुलाया है। हालांकि, भारत सरकार तालिबान को यहां बुलाने को लेकर अभी असमंजस में है। कारण है कि तालिबान को अभी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। खासतौर से मानवाधिकार से जुड़े मसलों को लेकर अभी उससे कहीं ज्यादा अपेक्षा हैं। इनमें महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार शामिल हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान कॉन्फ्रेंस में क्या भूमिका अदा करता है। देखने वाली बात तो यह भी होगी कि पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ आते हैं कि नहीं। अगर ऐसा होता है तो 2016 में अमृतसर में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश सलाहकार सरताज अजीज के बाद दोनों ओर से यह किसी उच्चाधिकारी का पहला दौरा होगा। इस साल मई में भी भारत ने अफगानिस्तान पर कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव किया था। तब भी यूसुफ को न्योता दिया गया था। हालांकि, दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के कारण यह बैठक नहीं हो पाई थी।