तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से उपजी चुनौतियों को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी ने लोकतांत्रिक देशों का आह्वान किया है कि अगर उनके बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित नहीं किया गया तो निहित स्वार्थ वाली ताकतें इसका गलत फायदा उठा सकती हैं। गुरुवार को पीएम मोदी ने सिडनी डायलाग को संबोधित करते हुए लोकतांत्रिक देशों को आगाह किया है कि उन्हें क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वाइन जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग करना चाहिए नहीं तो यह गलत हाथों में चला जाएगा और इससे युवाओं के बर्बाद होने का खतरा है।
इसके साथ ही उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि भारत 5जी, 6जी व सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीक घरेलू तौर पर विकसित करने पर काम कर रहा है।
सिडनी डायलाग में पीएम का यह उद्बोधन कई तरह से महत्वपूर्ण रहा। खास तौर पर हाल के समय में जिस तरह से चीन ने तकनीक को हथियार बना कर लोकतांत्रिक देशों के समक्ष चुनौती पेश की है उस पर भारत ने खुल कर अपना निशाना साधा है।
मोदी ने भारत को एक विश्वस्त तकनीकी प्रदाता देश के तौर पर भी पेश किया। जाहिर तौर पर चीन का नाम नहीं लिया लेकिन जिन चुनौतियों और खतरों की ओर वे इशारा करते नजर आए उससे साफ है कि वे किन शक्तियों की बात कर रहे थे। उन्होंने खुलेपन को लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत के तौर पर चिह्नित किया और कहा कि, कुछ स्वार्थी ताकतों को हम इस खुलेपन का गलत इस्तेमाल करने की छूट नहीं दे सकते।
सिडनी डायलाग में पीएम मोदी का उद्घाटन भाषण भारत व आस्ट्रेलिया के बढ़ते सहयोग का भी परिचायक है। एक दिन पहले ही आस्ट्रेलिया के पीएम स्काट मारीसन ने बेंगलुरु टेक समिट को संबोधित किया था।
पीएम मोदी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र और तकनीक विकास के क्षेत्र में भारत के बढ़ते महत्व को चिह्नित किया जो भारत के बढ़ते आत्मविश्वास को भी दिखाता है। एक लोकतांत्रिक और डिजिटल क्षेत्र का लीडर होने की वजह से भारत साझी समृद्धि और सुरक्षा के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार है। डिजिटल क्रांति, भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, भारत की जनता और यहां की इकोनमी में रची बसी है।
उन्होंने भारत के डिजिटल क्षेत्र में पांच तरह के बदलावों का जिक्र किया। इसमें पहला है, सबसे बड़ा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना, इसमें आधार कार्ड भी शामिल है और 80 करोड़ इंटरनेट यूजर्स भी। दूसरा, गवर्नेंस में डिजिटल का इस्तेमाल करना। तीसरा, भारत में स्टार्ट अप क्रांति की स्थिति। चौथा, उद्योग, सेवा व कृषि में तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल और अंतिम है भारत को भविष्य के लिए तैयार करने की कोशिश।
पीएम ने बताया कि भारत 5जी और 6जी की घरेलू तकनीक क्षमता तैयार कर रहा है। आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निग, क्लाउड कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में विश्वस्तरीय क्षमता विकसित करने पर काम हो रहा है। हार्डवेयर पर ज्यादा ध्यान देते हुए भारत ने सेमी-कंडक्टर्स का प्रमुख निर्माता बनने की योजना पर भी काम शुरू किया है।
इन भावी योजनाओं के आधार पर पीएम ने लोकतांत्रिक देशों से आग्रह किया कि वो भविष्य की तकनीक पर शोध व विकास कार्यो के लिए एक साथ निवेश करें। ताकि एक विश्वसनीय मैन्यूफैक्चरिंग ढांचा व सप्लाई चेन स्थापित की जा सके। साथ ही साइबर सिक्यूरिटी को लेकर खुफिया जानकारियों को साझा करने, महत्वपूर्ण सूचना ढांचा सुरक्षित करने, आम जनता के विचारों को चालाकी से बदलने की कोशिशों के खिलाफ, लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर तकनीक विकसित करने, डाटा सुरक्षित रखने व बिना किसी खतरे के एक देश से दूसरे देश में डाटा हस्तांतरित करने का काम हो सके।