तमिलनाडु में गैरकानूनी रूप से लाल मिट्टी के खनन से जुड़े मनी लॉड्रिंग मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु के मंत्री और द्रमुक नेता के पोनमुडी, उनके पूर्व सांसद बेटे पी गौतम सिगामणि और परिवार की 14 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की.
2007-2010 तक के पोनमुडी तमिलनाडु गवर्नमेंट में खान मंत्री थे. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे डाक्टर पी गौतम सिगमानी, सिगमानी के बहनोई केएस राजमहेंद्रन और जयचंद्रन के नाम पर खनन के पांच लाइसेंस जारी किए. इस दौरान सिगमानी ने पट्टे पर दी गई भूमि से लाल मिट्टी की खुदाई की. कहा गया कि उन्होंने सीमा से अधिक 25.7 करोड़ रुपये की लाल मिट्टी निकाली. इस मिट्टी की बिक्री से हुई कमाई को विदेश में निवेश किया. मुद्दे में कम्पलेन होने पर राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.
मामला मनी लॉड्रिंग से जुड़ा होने के चलते प्रवर्तन निदेशालय को भेजा गया. प्रवर्तन निदेशालय ने जांच के अनुसार पिछले वर्ष जुलाई में चेन्नई और विल्लुपुरम में 73 वर्षीय उच्च शिक्षा मंत्री और उनके बेटे के परिसरों पर छापेमारी की थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 14.21 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए आदेश जारी किया. शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय ने मंत्री और उनके बेटे की संपत्ति कुर्क की.
सेंथिल बालाजी पर भी लगा था मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
ईडी ने बीती 14 जून 2023 को तमिलनाडु गवर्नमेंट में मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) मुद्दे में अरैस्ट किया था. बालाजी पर इल्जाम था कि उन्होंने पूर्व की अन्नाद्रमुक गवर्नमेंट में परिवहन मंत्री रहते हुए जॉब के बदले उम्मीदवारों से पैसे लिए थे. ईडी द्वारा गिरफ्तारी के विरोध में सेंथिल बालाजी ने मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया था लेकिन उच्च न्यायालय ने बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने का आदेश दिया था. उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.